नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तमिलनाडु के व्यापारी के जीएसटी को लेकर सरकार से पूछे गए सवाल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भड़कने को शुक्रवार को उनका अहंकार बताया और कहा कि यदि सरकार से कोई सवाल पूछे तो उसका अपमान करके नहीं बल्कि आदर से जवाब दिया जाना चाहिए लेकिन मोदी सरकार के मंत्रियों को जनता का अपमान करने में सुख का एहसास होता है।
श्री खड़गे ने कहा,”गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए ‘टैक्स टेरर’ और श्री मोदी के दोस्तों के लिए ‘टैक्स में कटौती’। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कोयंबटूर में श्री अन्नपूर्णा रेस्तरां के मालिक, जो एक छोटे व्यवसायी हैं, सत्ता के अहंकार में उनको अपमानित किया है। श्रीमती सीतारमण पहले भी इसी तरह के सार्वजनिक बयान देती रही हैं। एक व्यवसायी ने त्रुटिपूर्ण जीएसटी के बारे में सवाल पूछा तो पहले वित्त मंत्री ने उनकी हंसी उड़ाई और फिर उन्हें कैमरे पर माफी मांगने के लिए मजबूर किया। एमएसएमई और छोटे व्यवसाय के मालिको को त्रुटिपूर्ण जीएसटी और नोवटबंदी के रूप में बराबर मोदी सरकार के वित्तीय हमलों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है लेकिन भाजपा केवल मोदी जी के करीबी मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने कहा “कांग्रेस पहले दिन से कह रही है कि हमें आवश्यक वस्तुओं पर सरल, समान, मध्यम और तर्कसंगत जीएसटी की आवश्यकता है। हमने 2024 के घोषणापत्र में कहा कि कांग्रेस मौजूदा जीएसटी कानूनों को जीएसटी 2.0 से बदलेगी। नई जीएसटी व्यवस्था सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत सिद्धांत पर आधारित होगी कि जीएसटी एकल, मध्यम दर कुछ अपवादों के साथ होगी जिससे बोझ नहीं पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’ भाजपा की ‘छोटे मालिकों को लूटो और दूत को गोली मारो’ नीति देश की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी है।”
श्री गांधी ने कहा,”कोयंबटूर में अन्नपूर्णा रेस्तरां जैसे छोटे व्यवसाय का मालिक हमारे लोक सेवकों से सरलीकृत जीएसटी व्यवस्था की मांग करता है तो उसके अनुरोध को अहंकार और घोर अनादर के साथ पूरा किया जाता है। फिर भी, जब कोई अरबपति मित्र नियमों को मोड़ना चाहता है, कानूनों को बदलना चाहता है, या राष्ट्रीय संपत्ति हासिल करना चाहता है, तो मोदी जी लाल कालीन बिछा देते हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारे छोटे व्यवसाय के मालिक पहले ही नोटबंदी, दुर्गम बैंकिंग प्रणाली, कर जबरन वसूली और विनाशकारी जीएसटी की मार झेल चुके हैं। आखिरी चीज़ जिसके वे हक़दार हैं वह है और अधिक अपमान लेकिन जब सत्ता में बैठे लोगों के नाजुक अहंकार को ठेस पहुंचती है, तो ऐसा लगता है कि उन्हें अपमान ही झेलना पड़ेगा। एमएसएमई वर्षों से राहत की मांग कर रहे हैं। अगर यह अहंकारी सरकार लोगों की बात सुनेगी तो उन्हें समझ आएगा कि एक कर दर के साथ सरलीकृत जीएसटी से लाखों व्यवसायों की समस्याएं हल हो जाएंगी।”