मंत्री, महापौर ने शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को किया सम्मानित
इंदौर: शिक्षक दिवस पर पूर्व सदस्य म.प्र. लोक सेवा आयोग शोभा पैठनकर, डॉ. सचिन शर्मा प्राध्यापक आईएमएस देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, मंत्री तुलसीराम सिलावट एवं महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा रविन्द्र नाटय गृह में इंदौर में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले 175 शिक्षकों को सम्मानित किया गया.कार्यक्रम में शोभा पैठनकर ने कहा कि शिक्षक का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहता है. शिक्षक विद्यार्थी के चरित्र को चरित्रार्थ करने में सहयोग करता है. गुरू व्यक्तित्व निर्माण के साथ ही कठिनाई का सामना करना भी सिखाता है. डॉ. सचिन शर्मा ने कहा कि शिक्षक विद्यार्थी को पढाते हुए, उसकी रूचि अनुसार विषयों पर ध्यान केन्दि्रत करना भी सिखाना चाहिये.
यदि हम शिक्षक विद्यार्थी को नवाचार व रूचिकर विषयो के साथ पढाएगे तो उसके परिणाम बहुत ही अलग और बेहतर आएंगे. इस अवसर पर राष्ट्र कवि सत्यनारायण सत्तन गुरूजी, पूर्व विधायक गोपी कृष्ण नेमा, महापौर परिषद सदस्य नंदकिशोर पहाडिया, निरंजनसिंह चौहान, अभिषेक शर्मा सचेतक, मनीष शर्मा मामा, कमल वाघेला, श्रीमती कंचन गिदवानी, सुनीता हार्डिया, प्रणव मंडल, ओपी आर्य, भरत रघुवंशी, राजीव जैन, जिला शिक्षा अधिकारी सुषमा वैश्य, अपर आयुक्त मनोज पाठक सहित बडी संख्या में विभिन्न विद्यालय के प्राचार्य, शिक्षाविद, व अन्य उपस्थित थे.
राष्ट्र निर्माण की बुनियादः सिलावट
मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण की बुनियाद है, शिक्षकों की शिक्षा के परिणाम स्वरूप भारत विश्व पटल पर अपना नाम रोशन कर रहा है. गुरू की शिक्षा नीति के परिणाम स्वरूप विश्व में आए बदलाव का माध्यम युवा व विद्यार्थी हुए है.
बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ायाः महापौर
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर देश में स्वच्छता में लगातार सात बार नंबर वन स्वच्छ शहर है, जिसमें इंदौर के शिक्षकों का भी योगदान रहा है. उन्होंने अपने विद्यार्थियों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया, जिसके परिणाम स्वरूप बच्चों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई. उन बच्चों ने घर में अपने बड़ों को भी स्वच्छता का पाठ पढाया.
गुरु कभी लघु नहीं होताः सत्तन
शिक्षाविद सत्यनारायण सत्तन गुरू ने कहा कि शिक्षक को किसी सहारे की जरूरत नहीं होती है. गुरू कभी लघु नहीं होता है, जो लघु हो जाए वह शिक्षक नहीं होता है. जीवनकाल में तमाम विपदा को सहन करते हुए भी शिक्षक राष्ट्र निर्माण में लगा रहता है