बांधों के गेट खुलने पर ग्रामीणों को करें सूचित:यादव

भोपाल, 29 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए हैं कि वर्षा काल में प्रदेश में कहीं भी जन हानि न हो, इसके लिए सभी कलेक्टर्स अपने नेतृत्व में जिलों में प्रशासनिक अमले को दायित्व सौंपे। बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे कार्य करे।

डॉ. यादव ने आज मंत्रालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अनेक जिलों के कलेक्टर्स-कमिश्नर्स से प्रदेश में अतिवर्षा की स्थिति में आवश्यक प्रबंधों के संबंध में चर्चा कर निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संबंधित अमला चैतन्य रहे और घटना-दुर्घटना के पूर्व आम जनता को आगाह भी किया जाए। अतिवर्षा या बाढ़ की चुनौती से निपटने के लिए समन्वय में कोई कमी नहीं रहना चाहिए। लोगों की जीवन रक्षा के लिए कहीं सेना की जरूरत हो तो कलेक्टर्स समय पर बताएं। उन्होंने कहा है कि कल दिल्ली में ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए एक हादसे में बेसमेंट क्षेत्र में पानी भरने से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन युवाओं की असामयिक मृत्यु दु:खद और दर्दनाक है। इस घटना के प्रकाश में मध्यप्रदेश के बेसमेंट में संचालित कोचिंग केंद्रों के सर्वे के निर्देश दिए गए हैं। डॉ. यादव ने प्रदेश में वर्षा की स्थिति और कुछ जिलों में बाढ़ की आशंका के संबंध में समीक्षा की।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि लोक निर्माण विभाग ऐसे पुल-पुलियों की जानकारी संकलित कर, जहां दुर्घटनाएं पूर्व में हुई हैं, ऐसे रपटों और पुलों पर प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करे। पुलों पर पानी का भराव हो तो लोगों को न जाने दें। बांधों से पानी छोड़ें तो प्रभावित होने वाले जिलों को अलर्ट करें। तैराक दल भी ऐसे स्थानों पर उपलब्ध रहें। स्थानीय स्तर पर तालमेल रहे। जिलों और तहसीलों की परस्पर जानकारी रहे। अति वर्षा की स्थिति और बाढ़ की चुनौती से प्रशासन को निपटना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कोई जनहानि न हो, इसके लिए सजग रहें। निरंतर मानीटरिंग होती रहे। उन्होंनने कहा कि कंट्रोल रूम की ड्यूटी वाले अधिकारी- कर्मचारी 24 घंटे चैतन्य रहें। जरूरत के अनुसार स्काउट- गाइड और सेवा भावी संस्थाओं की सेवाएं अति वर्षा की स्थिति में प्राप्त करें।

डॉ. यादव ने कहा कि वर्षा के दिनों में पेयजल आपूर्ति में स्वच्छता का ध्यान रखें। आम जनता को जीवन की उपयोगी वस्तुएं बिना बाधा के मिलती रहें। आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित किया जाए। वर्षाकाल में उत्पन्न समस्याओं के कारण मवेशियों की मृत्यु भी हो जाती है। कहीं मृत मवेशी न रखे रहें, उनको उठवाने का कार्य समय पर किया जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिन पुल-पुलियों अथवा रपटों पर जल बहाव तेज हो, वहां से नागरिकों को आवागमन न करने दिया जाए। उनकी जीवन रक्षा के लिए आवश्यक तैराक दल भी ऐसी जगह पर उपलब्ध रहना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र का जिले और तहसील से संपर्क रहे। जहां दुर्घटना की या जल भराव ज्यादा होने के आशंका है, आवश्यक ध्यान रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि हाल ही में जबलपुर,मंडला और कटनी जिलों में अति वर्षा से कुछ नागरिकों की असमय मृत्यु हुई है, जो पीड़ादायक है। ऐसे दुर्घटनाएं आगे न हों, यह सुनिश्चित किया जाए। जहां लोग पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं, ऐसी नदियों तालाबों पर बचाव दल की आवश्यक व्यवस्था रखी जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कुछ जिलों में अधिक वर्षा से हुई जन हानि को दुखद बताया। उन्होंने विशेष रूप से कटनी जिले में एक कुएं में गिरने से चार लोगों की मृत्यु पर भी दुख व्यक्त किया। इस प्रकरण में उन्होंने प्रभावित परिवार के वैध वारिसों को प्रति मृत व्यक्ति 4 लाख रुपए के मान से 16 लाख रुपए की राशि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से मंजूर की है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ऐसी दुर्घटनाएं नहीं होना चाहिए। खुले बोरवेल भी बंद हों। ऐसी लापरवाही से किसी की जान जा सकती है। नागरिक स्वयं सजग रहें और प्रशासनिक अमला भी सक्रिय और सजग रहे।

डॉ. यादव ने कहा कि सावन के महीने में मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना- जाना निरंतर होता है। इसका जिला वार आकलन किया जाए। त्यौहारों पर नागरिकों के धर्म स्थलों पर जाने के मार्ग और अथवा उन स्थानों पर भी आवश्यक सुरक्षा आवश्यक है, जो धर्मस्थल जल स्रोतों के पास या नदियों के पास हैं। ऐसी जगहों पर जहां जल स्तर बढ़ सकता है,वहां सुरक्षा की दृष्टि से निरंतर नजर रखी जाए। उन्होंने कमिश्नर उज्जैन, कलेक्टर शाजापुर ,कलेक्टर नर्मदा पुरम, कलेक्टर जबलपुर और कलेक्टर कटनी से वर्षा की स्थिति और बाढ़ की आशंका के संबंध में जानकारी प्राप्त कर निर्देश दिए।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव राजस्व निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने प्रजेंटेशन दिया। बैठक में प्रमुख सचिव नगरीय विकास नीरज मंडलोई ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशों के परिपालन में प्रदेश में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग के स्थानों में जल भराव होने पर जल निकासी की व्यवस्था देखने और सुरक्षित विद्युत व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा ने बताया कि 16 नगर निगम कमिश्नर्स भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े हैं। उन्हें बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों और अन्य धर्मशालाओं और संस्थाओं का निरीक्षण करने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके अलावा विभिन्न नगरों- कस्बों में निचली बस्तियों में भी आवश्यक सावधानियां बरतने एवं कच्चे मकानो में बिजली के करंट फैलने से वर्षा काल में उत्पन्न होने वाली समस्या के प्रति सजग रहने के निर्देश दिए गए हैं। प्रमुख सचिव राजस्व ने बताया कि प्रदेश में एक जून से 29 जुलाई तक 18.5 इंच वर्षा दर्ज हुई है। अधिक वर्षा वाले जिलों में राजगढ़, नीमच, भोपाल, सिवनी, ग्वालियर, भिंड, श्योपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, रायसेन एवं सीहोर शामिल हैं। प्रदेश के सिर्फ कटनी जिले में अधिक वर्षा से उत्पन्न स्थिति के कारण राहत शिविर का संचालन किया जा रहा है। बरगी जलाश्य का जल स्तर बढ़ने पर गेट खोलने का निर्णय लिया जा रहा है। इसके प्रवाह से प्रभावित होने वाले जिलों को अलर्ट किया गया है। अनेक बांधों में जल भराव 50 से 75 प्रतिशत के मध्य है। जिला कलेक्टरों को निचली बस्तियों में रहने वाले निवासियों को समय पर सतर्क करने और आवश्यकतानुसार अन्य स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ उन्मुख नदियों के जल स्तर पर लगातार निगरानी के लिए कहा गया है। सभी विभाग निर्धारित पोर्टल पर जानकारी अपडेट करें और बाढ़ की पूर्व सूचना के लिए समुचित व्यवस्था करें, ऐसे निर्देश दिए गए हैं। आवश्यक सेवाओं के रख-रखाव और बचाव दलों की व्यवस्था के लिए भी कहा गया है। प्रजेंटेशन में बताया गया कि डिसास्टर वार्निंग रिस्पॉन्स सिस्टम लागू किया गया है। इससे जलाशयों, नदियों के स्तर और गेटों के खोलने की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जल संसाधन विभाग द्वारा एसडीआरएफ, जिला प्रशासन और नागरिकों को एसएमएस अलर्ट की व्यवस्था भी की गई है। इसके साथ ही राजस्व एवं राहत आयुक्त के अमले द्वारा वर्षा से क्षति पर रिपोर्ट तैयार करने, जिला प्रशासन द्वारा नागरिकों को भारी वर्षा की चेतावनी और एसएमएस अलर्ट देने के साथ ही एसडीआरएफ एवं राज्य आपदा केंद्र के स्टाफ द्वारा जिला प्रशासन और नागरिकों को सूचित कर सजग करने की भूमिका निभाई जा रही है।

मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा द्वारा पूर्व में प्रदेश के सभी जिलों को अति वर्षा और बाढ़ की स्थिति से निपटने के संबंध में विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।

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