जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर कि सुरक्षा पर खड़े हो रहे सवाल

कंधे पर हाथ, महिला सफई कर्मियों के नैन मटके पर खड़े हो रहे सवाल, कई सीसीटीव्ही कैमरे खराब, अस्पतालों को लेकर एक्शन में सरकार

सिंगरौली : बंगाल की घटना को लेकर म.प्र. सरकार भी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक्शन मोड में दिखाई दे रही है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बीते 29 अगस्त को प्रमुख सचिव वीरा राणा ने बीसी के माध्यम से कलेक्टर, एसपी और स्वास्थ्य अधिकारी के साथ बैठक ली थी। बैठक में निर्देशित किया कि अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर पैनी नजर बनाई जाए। अस्पतालों की सुरक्षा के लिए लगाए गए कई सीसीटीव्ही कैमरे सिर्फ शोपीस के लिए हैं । यह कैमरे काम नहीं करते हैं।

गौरतलब हैं कि आज दिन शुक्रवार की दोपहर तकरीबन 1:30 बजे जब जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर की पड़ताल की गई तो वहां का नजारा कुछ अलग ही था। तीसरी मंजिल पर एक युवक और युवती कंधे पर हाथ रखकर चल रहे थे। जहां दूसरी ओर महिला सफाई कर्मियों के नैन मटके चल रहे थे। जिस तरह का नजारा देखने को मिला वैसे में यह सवाल तो कुरेद रहा है कि कहीं ना कहीं जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर की सुरक्षा खतरे में है और जिम्मेदार अधीक्षक नजर अंदाज कर रहे हैं। आलम यह है कि जिला अस्पताल सह ट्रामा सेंटर में अक्सर छत में युवक-युवती आते जाते रहते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इलाज तो फर्स्ट और सेकंड फ्लोर में किया जाता है। फिर ऐसी क्या जरूरत महसूस होती है कि युवक-युवती छत पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में 24 घंटे संचालित अस्पताल में सुरक्षा का अभाव है। कभी मरीज की मौत होने पर स्वजनों के आक्रोश का कोप भाजन चिकित्सक व कर्मी बनते हैं।
कई जगह के सीसीटीव्ही कैमरे खराब
बताया जा रहा है कि अस्पताल की सुरक्षा के लिए लगाए गए सीसीटीव्ही कैमरे कई जगह के खराब है। वही आपातकालीन वार्ड के प्रवेश द्वार पर सीसीटीव्ही कैमरा लगाया ही नहीं गया है। वार्ड के गेट के ऊपर दो सीसीटीव्ही कैमरे जरूर लगाए गए हैं। लेकिन कई ऐसे स्थान हैं जहां सीसीटीव्ही कैमरे की रेंज से बाहर है। जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में विभिन्न स्थानों पर लगाए गए चार दर्जन सीसीटीव्ही कैमरों में करीब दर्जनभर खराब हैं या फिर उनका डायरेक्शन बदल दिया गया है। जिससे अस्पताल परिसर के साथ वार्डों में आने-जाने वालों की निगरानी नहीं हो पाती। करीब सप्ताहभर पहले कलेक्टर ने निरीक्षण के बाद सीसीटीव्ही कंट्रोल रूम बनाकर शिफ्टवार कर्मियों से गतिविधि की निगरानी कराने का निर्देश दिया था। मगर अभी इस पर अमल नहीं हुआ है।
नहीं खुल पाया पुलिस सहायता केंद्र
सुरक्षा को लेकर आउटसोर्सिंग से गार्ड की तैनाती की गई है। लेकिन रोटेशन के हिसाब से ही गार्ड अपनी ड्यूटी निर्वहन करते हैं। यानी एक समय में मात्र चार-पांच लोग ही तैनात रहते हैं। लेकिन इतने बड़े जिला अस्पताल सह ट्रामा सेंटर के सुरक्षा के लिए न काफी है। जब कभी विधि व्यवस्था बिगड़ने लगती है तो सूचना मिलने पर नगर थाने की पुलिस यहां आती जरूर है। लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा कई बार पत्र लिखकर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस सहायता केंद्र खोलने की मांग भी की गई थी। लेकिन अभी तक जिम्मेदारों ने पुलिस सहायता केंद्र खोलने में रूचि नहीं दिखाई।
पाइप टूटने से दीवाल में गिर रहा पानी
अस्पताल की दूसरी मंजिल की पाइप टूटने से गंदा पानी दीवाल पर गिर रहा है। जिससे पूरी दीवाल में ना सिर्फ काई लग रही है, बल्कि दीवाल में सीलन भी आने लगा है। वहीं गंदा पानी ऊपर से बेतरतीब तरीके से गिरकर नीचे फर्श में फैल रहा है। साथ में बदबू आने से ग्राउंड फ्लोर के स्टाफ को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बायो वेस्ट कचरा खा रहे आवारा मवेशी
जिला अस्पताल लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है। अस्पताल में रोजाना निकलने वाले बायो वेस्ट के निस्तारण के उचित प्रबंध नहीं हैं। अस्पताल परिसर के पीछे इन दिनों बायो वेस्ट खुले में बिखरा हुआ है। पट्टियां, सीरिंज, खाली बोतल, टिश्यू अन्य मेडिकल कचरे का ढेर पड़ा है। हैरानी की बात तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने किसी भी स्थिति में बायो मेडिकल वेस्ट को खुले में न फेंकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। निस्तारण के नियम भी तय किए गए हैं। इसके बावजूद अस्पताल में इसका पालन नहीं हो पा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि अस्पताल परिसर में खुले में बिखरे बायो वेस्ट कचरा आवारा मवेशी खा रहे है। वहीं कचरें के ढेर में मुंह मारते हुए कचरा इधर-उधर फैला देते हैं।

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