नयी दिल्ली 08 अगस्त (वार्ता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को राज्यसभा में कहा कि घरेलू और वैश्विक चुनौतियों के बीच चालू वित्त वर्ष के बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि की गयी है और राज्यों को भी 50 वर्षाें के लिए ब्याज मुक्त वित्त उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है।
वित्त मंत्री ने सदन में जम्मू कश्मीर विनियोग (संख्यांक 3) विधेयक 2024, विनियोग (संख्यांक 2) विधेयक 2024 और वित्त (संख्यांक 2) विधेयक 2024 पर चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि बजट में कुल मिलाकर पूंजीगत व्यय 15.02 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है। कोविड के बाद तथा हाल की वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। सरकार न:न सिर्फ घरेलू चुनौतियों का बल्कि वैश्विक चुनौतियों के बीच पूंजीगत व्यय में बढोतरी कर रही है और राज्यों को 50 वर्षाें के लिए ब्याज मुक्त पूंजी भी उपलब्ध करा रही है। बाद में इन विधेयको को सदन ने ध्वनिमत से लोकसभा लौटा दिया।
उन्होंने कहा कि देश में विनिर्माण पर जोर दिया गया है ताकि रोजगार सृजन में बढोतरी हो सके। सरकार की मंशा घरेलू स्तर पर रोजगार के अवसर और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है। कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रोें के व्यय में बढोतरी की गयी है। शिक्षा, महिला एवं बाल विकास , सामाजिक कल्याण सहित लगभग हर क्षेत्र के व्यय में बढोतरी की गयी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय बजट में इस वर्ष कई मामलों में संतुलन बनाया गया है। वित्तीय समायोजन के साथ ही राजकोषीय घाटे पर भी ध्यान दिया गया है ताकि अगले वित्त वर्ष में इसको और नीचे लाया जा सके। बजट में कौशल विकास और इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए किये प्रावधानों को उल्लेख करते हुये कहा कि ये 2047 तक विकसित भारत की दिशा में पहला कदम है।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को 17 हजार करोड़ रुपये की मदद दी गयी है। उन्होंने ग्लोबल हंगर सूचकांक में भारत के माली, सीरिया और पाकिस्तान से भी नीचे रहने के मुद्दे पर कहा कि देश में 80 करोड़ लोगों को अनाज देकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भूखा नहीं रहे। उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर सूचकांक बहुत बड़ा मिथक है। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े कई सूचकांकों में देश में सुधार हुआ है और इसके मद्देनजर इसकी समीक्षा किये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि बचत में कमी आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अब लोग एक से अधिक विकल्पों में निवेश कर रहे हैं। लोगों को जहां बेहतर रिटर्न मिलता है, उसमें निवेश करने लगे हैं। मध्यम वर्ग अब पूंजी बाजार में वायदा एवं विकल्प सौदे में निवेश करने लगे हैं। लघु बचत ही अब सिर्फ बचत का माध्यम नहीं रह गया है। शहरी लोग अपनी बचत अलग अलग क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। रियल एस्टेट में हाल में निवेश बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के श्रमबल में बढोतरी हो रही है। महिलाओं का उच्च शिक्षा में पंजीयन बढ़ा हैै। महिलाओं और लड़कियों के लाभ के लिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रावधान किये गये है। कामकाजी महिलाओं के लिए होस्टल बनाये जा रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि कराधान को सरल बनाया जा रहा है। मध्यम वर्ग के लिए 2020-23 के दौरान नयी कर प्रणाली के तहत करदाताओं को राहत दी गयी है। नये बजट में भी इसमें बढोतरी की गयी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने कर बढ़ाया है जबकि भारत में मध्यम वर्ग पर कर को कम किया गया है। 15 लाख रुपये कमाने वाले पर प्रभावी कर की दर 10 प्रतिशत है। कर रिफंड में अभी 10 दिन लग रहा है। आयकर कानून की समीक्षा की जा रही है और छह महीने में इसे सदन में रखा जायेगा।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भूमि एवं भवन पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को 23 जुलाई से पहले के मामले में करदाता नयी कर व्यवस्था में 12.5 प्रतिशत बगैर इंडेक्सेशन के या 20 प्रतिशत इंडेक्सेशन के साथ, जो चाहे अपना सकते हैं और इनमें से जो कम होगा, उसका वे चयन कर सकते हैं। इस बदलाव से करदाताओं पर कोई बोझ नहीं आयेगा। भूमि या भवन को बेचने से मिली राशि में से 10 करोड़ रुपये तक का समान संपत्ति में निवेश करने पर कोई कर नहीं देय होगा।
जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी के दायरे से बाहर करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इसका निर्णय जीएसटी परिषद को लेना होता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री है और उनके पास दो तिहाई मताधिकार है। केन्द्र के पास सिर्फ एक तिहाई मताधिकार है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लागू होने से पहले भी राज्य अपने स्तर पर इन पर कर लगाया करते थे। राजनीतिक रोटी सेकने के लिए यहां खडे होकर मुद्दे उठाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर मिले जीएसटी में से करीब 71 प्रतिशत राज्यों को जाता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि रेल बजट में कमी नहीं आयी है। रेलवे के पूंजीगत व्यय में लगातार बढोतरी की गयी है। पीएम जनधन खाते और बेसिक बचत खाता पर न्यूनतम बैंलेंस का नियम लागू नहीं होता है। 65 करोड़ खाता धारक इसके दायरे में ही नहीं है। पीवीसी फिल्म पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया है क्योंकि इसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कोविड के बाद से निजी निवेश बढ़ रहा है। बैंकों के ऋण पर हेयरकट के मामले में उन्होंने कहा कि यह मामला दो पक्षों से जुड़ा हुआ है। एनसीएलटी की निगरानी में दिवालिया होने की कगार पर खड़ी कंपनियों का निपटान किया जाता है और इसमें बैंक और संबंधित पक्ष सहमत होकर इसका समाधान करते हैं। ऐसी स्थिति में इससे सरकार का कोई लेनादेना नहीं है।