नवभारत न्यूज
खंडवा। मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा पर बने इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर परियोजनाओं के लबालब होने के बाद गेट खोल दिए गए हैं।
इंदिरा सागर बांध परियोजना के बुधवार शाम 4 बजे सायरन बजाकर 12 गेटों को अलग-अलग समय में खोले गए । सबसे पहले गेट नंबर 2 एवं 11 नंबर गेट को खोला गया। 20 मिनट के भीतर सभी 12 गेट खोले गए। नर्मदानगर स्थित डेम के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया 6 गेट 1 मी एवं 6 गेट आधा मी खोले गए हैं। इन गेटों से इन गेटों से इन 12 गेटों से 2154 के कयूमैक्स एवं विद्युत गृह से 1840 क्यूमैक्स जल छोड़ जा रहा है।
आधे घंटे बाद खोले ओंकारेश्वर के 9 गेट
इंदिरा सागर बांध से करीब 4000 क्यूमेक्स पानी का डिस्चार्ज रहेगा। निचले क्षेत्रों में इसकी सूचना पूर्व में दे दी गई थी। इसी तरह, ओंकारेश्वर बांध परियोजना से नौ गेट शाम 4:30 बजे खोलकर व बांध से 1984 क्यूमैक्स व विद्युतगृह से 1890 क्यूमेक्स जल छोड़ जा रहा है। इस तरह कुल मिलाकर 3880 क्यूमैक्स पानी का डिस्चार्ज होगा।
नर्मदा जल गुजरात
जाने को बेताब
यह पानी जलसिंधी परियोजना होते हुए गुजरात की तरफ तेजी से बढऩे को बेताब है। एक दिन बाद गुजरात में नर्मदा पर बाढ़ के हालात होंगे। बरगी की तरफ से जब तक पानी आता रहेगा। इंदिरासागर और ओंकारेश्वर के गेट बंद नहीं होंगे। फिलहाल ये गेट कब बंद होंगे? अभी कहां नहीं जा सकता। बरगी पर ही इंदिरासागर और ओंकारेश्वर के गेट खुलने और बंद होना निर्भर करता है।
4000 क्यूमैक्स
पानी का गणित
बिजली परियोजनाएं चाहती हैं कि अधिक से अधिक पानी बिजली बनाकर रिलीज किया जाए। 2000 क्यूमैक्स पानी इंदिरासागर से बिजली बनाकर भेजा जा सकता है। इससे अधिक कैपेसिटी बिजली बनाने की नहीं है। इसीलिए इंदिरासागर से लगभग इतना ही पानी 12 गेट खोलकर ओंकारेश्वर परियोजना में उड़ेल दिया गया। आधे घंटे में यह पानी ओंकारेश्वर में असर दिखने लगता है। ओंकारेश्वर बांध से भी लगभग इतना ही पानी बिजली बनाकर छोड़ गया। बाकी पानी को गेटों के माध्यम से पास किया जा रहा है।
बांधों की कनेक्टिविटी समझें
नर्मदा पर बने जबलपुर के बरगी एवं खंडवा जिले के इंदिरासागर और ओंकारेश्वर बांध की कनेक्टिविटी आपको समझना जरूरी है। बरगी से मंगलवार को ही पानी रिलीज कर दिया गया था। बिजली बनाकर इंदिरासागर और ओंकारेश्वर से कंट्रोल किया जा रहा था, लेकिन पानी की आवक अधिक होने के कारण 4 000 क्यूमैक्स पानी को रिलीज करना जरूरी था। हरदा जिले के हंडिया की तरफ से इतना पानी अधिक आ रहा था, जिसे इंदिरासागर में संजोकर रखना कठिन हो गया था।
करोड़ों रुपए की बिजली बन रही
इंदिरासागर और ओंकारेश्वर की परियोजनाएं करोड़ों रुपए की बिजली बना रही हैं। पानी से बिजली, यानी हाइडल परियोजनाओं से भरपूर लाभ कमाया जा रहा है। इसका एक अंश निश्चित मात्रा में लाभांश खंडवा जिले पर खर्च किया जाना चाहिए। यह राशि कहां लगाई जाए? कलेक्टर पर निर्भर करता है! ऐसी जानकारियां काम ही सार्वजनिक की जाती हैं। एनएचडीसी के माध्यम से राशि खंडवा जिले के विकास पर खर्च हो रही है।