सुदूर अंचल के कई विद्यालय भवन जर्जर व खंडहर में हो चुके तब्दील, कई विद्यालयों में कीचन सेड, पेयजल एवं शौचालय की भी है समस्या
देवसर :जिले के जनपद शिक्षा केंद्र देवसर अंतर्गत की सुदूर एवं ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय स्कूलों की दशा अत्यंत दयनीय व चिंताजनक है। जहां शैक्षणिक गुणवत्ता का अभाव तो किसी से छुपा ही नहीं है। वही उससे भी दयनीय स्थिति विद्यालय भवनों की है और उन भवनों में कक्षाओं का संचालन होना मौत के मुहाने में बैठने से कम नही। जी हॅा यह बात इसलिए कर रहे हैं कि शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देवसर संकुल के जन शिक्षा केंद्र कुर्सा अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला कारी, केरवा, गढ़वा एवं सोनगढ़ पूर्वी टोला के भवनों का हाल खस्ता है । फिर भी इन्हीं भवनों में कक्षाओं का संचालन हो रहा है।
जबकि उक्त भवनों का यदि सिविल इंजीनियरों से परीक्षण कराया जाए तो निश्चित ही इन भवनों को डिस्पोजल घोषित कर दिया जाएगा। जबकि उक्त सभी विद्यालय भवन अधिकतम 15 से 20 वर्ष के अंदर ही निर्मित किये गए हैं। किंतु भ्रष्टाचार की दहलीज पर हुए निर्माण कार्यों की समय अवधि 15 से 20 वर्ष कुछ कम नहीं है। इधर शाला भवन परिसर में घास फूस वह झाड़ी तो है ही किंतु शर्म की बात तो यह है कि विद्यालय परिसर व खिड़की दरवाजे के आसपास शौच कर दिया जाता है। जिसकी शिकायत वह फरियाद करके शिक्षक थक हार चुके हैं।
छत की सरिया निकली बहार, पेयजल संकट भी
शासकीय प्राथमिक शाला कारी का भवन पूर्णतया खंडहर में तब्दील हो चुका है। छत की सरिया बाहर निकल चुकी है और छत से पानी तो टपकता ही है छत भी नीचे की ओर झुक गई है। खासकर इससे लगा अतिरिक्त कक्ष बना है। जिसकी हालात और भी चिंताजनक है और बिन बारिश में भी पानी टपकता रहता है। फिर भी उसमें कारी का आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 का संचालन हो रहा है। जहां कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। वही शासकीय प्राथमिक पाठ शाला कारी ही नहीं बल्कि केरवा, गढ़वा एवं अन्य कई विद्यालयों में भी ना तो किचन सेट है ना शौचालय है और ना ही पेयजल । जहां हैंडपंप तो है लेकिन शुद्ध पानी की जगह जंग युक्त लाल पानी उगलता है। जिसमें सबमर्सिबल पंप डाला गया है किंतु विद्यालय भवन का विद्युत कनेक्शन व मीटर ही उखाड़ लिया गया। जहां ऐसे में मोटर पंप वर्षों से बंद पड़ा है ।