नयी दिल्ली 31 जुलाई (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि केरल सरकार को वायनाड हादसे से एक सप्ताह पहले ही 23 जुलाई को भारी वर्षा तथा भूस्खलन होने की पूर्व चेतावनी दी गयी थी लेकिन इस पर जरूरी कार्यवाही नहीं की गयी।
श्री शाह ने सदन में “केरल के वायनाड जिले में विनाशकारी भूसखलन से उत्पन्न स्थिति” के संबंध में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह आरोप प्रत्यारोप का समय नहीं है और संकट की इस घड़ी में केन्द्र सरकार पूरी तरह केरल सरकार और वहां के लोगों के साथ एकजुट है।
चर्चा में हिस्सा लेने वाले सदस्यों द्वारा बार बार पूर्व चेतावनी प्रणाली पर सवाल उठाये जाने का उल्लेख किये जाने पर श्री शाह ने कहा कि देश में वर्ष 2016 से भारी वर्षा, लू , तूफान और बिजली गिरने जैसी आपदाओं के लिए अत्याधुनिक पूर्व चेतावनी प्रणाली है। इस प्रणाली से मिली जानकारी के आधार पर एक सप्ताह पहले पूर्व चेतावनी भेजी जाती है और केरल के मामले में भी सबसे पहले 23 जुलाई और इसके बाद 25 और 26 जुलाई को भी पूर्व चेतावनी राज्य सरकार को भेजी गयी जिसमें भारी वर्षा और भूस्खलन की चेतावनी दी गयी थी। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने इन चेतावनियों पर कार्रवाई कर जान माल के नुकसान को बहुत कम करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि गुजरात और ओड़िशा इसका उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस प्रणाली के लिए 2000 करोड़ रूपये खर्च किये हैं।
उन्होंने कहा कि यह सूचना एक सप्ताह पहले भेजी जाती है इसे मौसम विभाग की साइट पर भी अपलोड किया जाता है जिससे कि सब सतर्क हो जायें। सदस्यों की टोका टोकी के बीच उन्होंने कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए। केन्द्र सरकार ने पूर्व चेतावनी को देखते हुए केरल में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल एनडीआरएफ की नौ टीमें 23 जुलाई को ही वहां भेजी थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके बावजूद सतर्क नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर क्यों नहीं भेजा गया। यदि उन्हें समय रहते सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाता तो मौतें क्यों होती। उन्होंने कहा कि लोगों को आपदा के बाद वहां से निकाला गया है।
श्री शाह ने कहा कि राज्यों के पास राज्य आपदा कोष से दस प्रतिशत राशि बिना अनुमति के खर्च करने का अधिकार होता है। बाकी की 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार खर्च की जानी होती है और इसके लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लिए 6 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि मंजूर की गयी है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस खर्च का हिसाब नहीं देती है।
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जैसे ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस घटना की जानकारी मिली उन्होंने राज्य सरकार से संपर्क कर सहायता शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि अब तक राहतकर्मी 133 शवों को निकाल चुके हैं और यह संख्या बढ सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं। केन्द्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन को वहां भेजा गया है और वह निरंतर जानकारी दे रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने केरल के मुख्यमंत्री से बात की है। घटना के बाद से ही सेना , वायु सेना , नौसेना , तटरक्षक बल और एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव अभियान में 24 घंटे लगी हुई है। बचाव कार्य में सेना के विमान और हेलिकॉप्टरों की मदद ली जा रही है। सेना के डाक्टर भी चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 145 करोड़ रूपये की राशि राज्य आपदा राहत कोष से आज ही उपलब्ध करायी गयी है।