राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण: भागवत

अमरोहा, 30 जुलाई (वार्ता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि व्यक्तित्व के विकास और राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा में सर्वहित और कल्याण की भावना का समावेश होना चाहिए।

डॉ भागवत ने मंगलवार को श्रीमद् दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य का दैवीय गुण शिक्षा को कल्याण के भाव से देखना होना चाहिए। शिक्षा में सर्वहित और कल्याण की भावना का समावेश होना चाहिए।

उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि वह इसलिए भाग्यशाली हैं कि उन्हें भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला है। एक शिक्षा ही है जो व्यक्ति को व्यक्तित्व और समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है । शिक्षा की अलख जगाने और समाज व देश को आगे बढ़ाने के लिए आप सब इस शिक्षा का सदुपयोग करें लोक कल्याण करना शिक्षा का उद्देश्य समझें।

संघ प्रमुख ने छात्राओं से कहा कि उन्हे अपने जीवन का संकल्प भी बनाना चाहिए। हमें अपने देश को सुरक्षित रखना भी कर्तव्य है, राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र की प्रगति में भी शिक्षा का उद्देश्य निहित है।

चोटीपुरा कन्या गुरुकुल में पहुंचने पर डा भागवत का स्वागत मंत्रोच्चारण व पुष्प वर्षा कर कियागया। कार्यक्रम में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति आचार्य प्रो.श्रीनिवास बरखेड़ी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

संघ प्रमुख अमरोहा पहली बार अमरोहा पहुंचे हैं। इससे पूर्व में 2007-08 में व्यापारिक केंद्र मंडी धनौरा (अमरोहा)आए थे। संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत द्वारा यहां यज्ञशाला में यज्ञ के पश्चात कक्षा सात की 134 छात्राओं का उपनयन संस्कार कराया गया। इससे पूर्व महाविद्यालय में पौधारोपण व छात्राओं द्वारा मुख्य अतिथि के स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

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