लंदन 25 मार्च (वार्ता) ब्रिटेन सरकार की ओर से देश की चुनाव निगरानी संस्था पर साइबर हमलों का संबंध चीन से जोड़े जाने की उम्मीद है।
चुनाव आयोग पर साइबर हमले अगस्त 2021 में हुए थे, लेकिन पिछले साल ही इसका खुलासा हो पाया था। इस घटना में संभावित रूप से लाखों मतदाताओं के व्यक्तिगत विवरण तक पहुंच बनाई गई थी।
माना जाता है कि चीन के आलोचक रहे कई सांसदों और साथियों को भी साइबर हमलों में निशाना बनाया गया है।
उप प्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन इस खतरे के बारे में सोमवार को संसद को संबोधित करेंगे।
बीबीसी का मानना है कि अन्य पश्चिमी देश भी इसी तरह की चिंताएं व्यक्त करेंगे।
पिछले अगस्त में हुए हमलों को स्वीकार करते हुए, चुनाव आयोग ने कहा कि अनिर्दिष्ट ‘शत्रुतापूर्ण साजिशकर्ताओं’ ने चुनावी रजिस्टरों की प्रतियों तक पहुंच प्राप्त कर ली थी। इसके अलावा उनके ईमेल तथा ‘नियंत्रण प्रणालियों’ में सेंध लगा ली थी। पर साथ ही यह भी कहा कि इसका न तो किसी चुनाव पर और न ही किसी के पंजीकरण पर कोई प्रभाव पड़ा।
अब यह सोचा जा रहा है कि श्री डाउडेन यह सुझाव देंगे कि हमले के पीछे के लोगों का संबंध चीन से था। साथ ही यह भी बताएंगे कि ब्रिटेन व्यापक खतरे को देखते हुए कैसे प्रतिक्रिया देगा।
सरकार इस बात पर ज़ोर देना चाहती है कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे में चीनी निवेश को पहले ही अस्वीकार कर दिया है या खत्म कर दिया है।
जिन तीन सांसदों को निशाना बनाया गया है उनमें पूर्व कंजर्वेटिव नेता इयान डंकन स्मिथ, पूर्व मंत्री टिम लॉटन और एसएनपी के स्टीवर्ट मैकडोनाल्ड शामिल हैं जो संसदीय सुरक्षा के प्रमुख से ब्रीफिंग प्राप्त करेंगे।
चीनी जासूसी और संसदीय हस्तक्षेप पर ब्रिटेन सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है।
सितंबर 2023 में एक संसदीय शोधकर्ता को चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत गिरफ्तार भी किया गया था।