* मामला शासकीय हाई स्कूल करगिल का, अभिभावकों ने जताया आक्रोश
नवभारत न्यूज
सीधी 27 जुलाई।
सरकारी विद्यालयों में व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए शासन द्वारा भारी-भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। साथ ही विद्यालयों को सभी आवश्यक संसाधन भी मुहैया कराए जा रहे हैं। फिर भी संस्था प्रमुखों एवं शिक्षकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। जिला मुख्यालय के समीपी शासकीय हाई स्कूल करगिल में आज दोपहर विद्यार्थियों द्वारा विद्यालय के सामने साफ-सफाई करने का वीडियो वायरल होते ही अभिभावकों का गुस्सा फूट पड़ा। चर्चा के दौरान कुछ अभिभावकों ने बताया कि घर से बच्चे स्कूल पढऩे के लिए जाते हैं। लेकिन यहां के प्राचार्य बुद्धसेन प्रताप सिंह कारपेती एवं दबंग शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं से साफ-सफाई कराई जाती है। जबकि विद्यालय में नियमित भृत्य की पदस्थापना साफ-सफाई करने के लिए ही है। भृत्य द्वारा विद्यालय में साफ-सफाई का काम नहीं किया जाता। यह काम स्कूल आने वाली छात्राओं एवं छात्रों से कराया जाता है। आज दोपहर करीब 12 बजे विद्यालय के सामने बारिश के महीने में घने चारा एवं झडिय़ों की सफाई जोखिम के बीच करता देखकर वहां से गुजर रहे कुछ अभिभावकों ने वीडियो बना लिया। वायरल वीडियो में पूंछने के दौरान कुछ छात्र यह कह रहे हैं कि प्राचार्य के कहने पर सभी बच्चे विद्यालय के सामने और उसके आसपास उगने वाली झाडियों एवं चारों की सफाई का काम कर रहे थे। अभिभावकों का कहना है कि बरसात के दिनों में चारा एवं झाडियों के बीच कोई भी जहरीला जीव-जंतु हो सकता है। ऐसे में बच्चों को खतरे के बीच साफ-सफाई के लिए आखिर क्यों भेजा जाता है। यह काम विद्यालय के भृत्य से कराया जाना चाहिए। जिसके लिए उसकी नियुक्ति है एवं हजारों रुपए की पगार सरकार दे रही है। उनसे काम कराने की बजाय प्राचार्य स्कूल पढऩे आने वाले मासूम छात्र-छात्राओं पर धौंस जमाकर सफाई का काम कराते हैं। तत्संबंध में जब प्राचार्य श्री करपेती से मोबाईल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा कॉल रिसीव करने की जरूरत नहीं समझी गई।
विद्यालय में पदस्थ शिक्षकों की मनमानी
क्षेत्रीय अभिभावकों का आरोप है कि शासकीय हाई स्कूल करगिल में पदस्थ शिक्षकों की मनमानी के चलते व्यवस्थाएं पूरी तरह से पंगु हैं। हालात यह है कि विद्यालय का औचक निरीक्षण करने के लिए कोई भी विभागीय अधिकारी नहीं आते। जिसके चलते यहां पदस्थ शिक्षक केवल उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के बाद गप्पे हांकना शुरू कर देते हैं। इनके द्वारा न तो पठन-पाठन का कार्य जिम्मेदारी के साथ कराया जाता और न ही अपनी अन्य जिम्मेदारियों का पालन किया जाता है। विद्यालय का संचालन एक महीने से हो रहा है लेकिन अब भी यहां न तो गणित की पढ़ाई हो रही है और न ही अंग्रेजी की। यहां जो नियमित शिक्षक पदस्थ हैं उनके द्वारा पठन-पाठन करानें को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। कई शिक्षक ऐसे भी हैं जो कि विद्यालय आने के बाद अपने मोबाईल में ही पूरी तरह से व्यस्त रहते हैं। बाद में परीक्षा होने पर नकल का सहारा लेकर बच्चों को पास कराया जाता है। इसी वजह से उनको कार्यवाही का भी कोई खौफ नहीं रहता है। जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने कार्यालयीन कार्यों में ही इतने व्यस्त रहते हैं कि उनके पास स्कूलों का औचक निरीक्षण करने के लिए समय ही नहीं रहता। इसी वजह से महीने भर से संचालित अधिकांश सरकारी स्कूलों का संचालन इसी तरह से हो रहा है।
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मामले की कराई जाएगी जांच, दोषियों पर होगी कार्यवाही: डीईओ
इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. प्रेमलाल मिश्रा ने कहा कि मीडिया के माध्यम से हमें इसकी जानकारी मिली है। क्या सच्चाई है इसकी जानकारी विद्यालय के माध्यम से ली जाएगी। यदि वास्तविक रूप से बच्चों से झाड़ी कटवाने का काम कराया जाता है तो गलत है। उस पर कार्यवाही की जाएगी।