नयी दिल्ली, 26 जुलाई (वार्ता) विद्युतीय एवं इलेक्ट्रॉनिकी इंजीनियरों के वैश्विक फोरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आईईईई) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) टॉम कुगलिन ने तकनीकी प्रगति और उद्योगों में बदलाव को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग की पढ़ाई में बदलाव किए जाने तथा शिक्षा जगत और उद्योग के बीच साझेदारी बढ़ाने पर बल दिया है।
आईईईई के बैनर तले भारत में परिवर्तनों के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई में बदलाव के विषय पर राजधानी में शुक्रवार को आयोजित उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में श्री कुगलिन ने कहा, “तेज तकनीकी प्रगति और उद्योगों के बदलते परिदृश्य के लिए इंजीनियरिंग शिक्षा में कई बदलाव की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि लचीले और अंतःविषयक दृष्टिकोण को अपनाकर और उद्योगों एवं शिक्षा जगत के बीच मजबूत साझेदारी बनाकर, हम इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को बदलते समय और प्रौद्योगिकी के अनुरूप कौशल और ज्ञान प्रदान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा करना नवाचार और वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आईईईई इन परिवर्तनों का समर्थन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है कि भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा उत्कृष्ट बनी रहे।
सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुचिरापल्ली की पूर्व निदेशिका प्रोफेसर मिनी शाजी थॉमस के नेतृत्व में ‘भारत की नयी शिक्षा नीति 2020 और भारतीय तकनीकी शिक्षा’ विषय पर एक पैनल चर्चा हुई। इसमें बिट्स पिलानी कैंपस समूह के कुलपति प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने एनईपी 2020 के प्रमुख तत्वों और तकनीकी शिक्षा में क्रांति लाने की क्षमता पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों ने कहा कि नयी शिक्षा नीति सम्पूर्ण विकास, फ्लेक्सिबल शिक्षा, अंतःविषय शिक्षा और कौशल विकास पर कैंद्रित है।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रोफेसर टी जी सीताराम ने छात्रों को भविष्य के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने के उद्देश्य से नवीन शिक्षण पद्धतियों और पाठ्यक्रम में सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। डॉ. विनय कुमार पाठक (अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज और वीसी, सीएसजेएमयू, कानपुर) ने इंडस्ट्री और समाज की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग शिक्षा को बदलने के महत्व पर जोर दिया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में आईईईई दिल्ली अनुभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अब्दुल कय्यूम अंसारी ने भारत में एक परिवर्तित इंजीनियरिंग शिक्षा परिदृश्य के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के बीच निरंतर बातचीत और सहयोग के महत्व को दोहराया।
इस सम्मेलन में भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा को नया आकार देने, इसे वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण सिफारिशें की गयीं।