फिलहाल तो मान गए मंत्री नागर सिंह चौहान?

सियासत

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और आदिवासी नेता नागर सिंह चौहान को 2 दिन पूर्व दिल्ली में राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा समझाइश और फटकार दोनों दी गई. केंद्रीय बजट में व्यस्त होने के कारण गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई लेकिन नाराज मंत्री को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने साफ शब्दों में हिदायत दी. नागर सिंह चौहान की इन दोनों नेताओं से दिल्ली में मुलाकात हुई. इसके बाद शाम को भोपाल लौट आए जहां उन्होंने आते ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से चर्चा की. इस पूरे घटनाक्रम के कारण मालवा और निमाड़ अंचल की राजनीति का गरमा गई. सूत्रों का कहना है कि वन एवं पर्यावरण विभाग रामनिवास रावत को देने से नाराज मंत्री नागर सिंह चौहान मंगलवार रात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात के बाद मान गए. नागर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन उनकी नड्डा से मुलाकात नहीं हो सकी. इसके बाद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात के बाद नागर मान गए। नागर वीडी शर्मा के साथ दिल्ली से भोपाल लौटे. इसके बाद उन्होंने देर रात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने नागर को भविष्य में बेहतर अवसर देने का आश्वासन दिया. भाजपा हाईकमान ने मंगलवार को कड़े रुख के साथ प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान के बगावती तेवर ढीले कर दिए. वन एवं पर्यावरण विभाग खुद से हटाए जाने की नाराजगी लेकर दिल्ली पहुंचे नागर को भाजपा के दिग्गज नेताओं ने फटकार लगाई. उनसे दो-टूक कह दिया गया कि पार्टी का हर निर्णय स्वीकार करना होगा. नतीजतन, मंगलवार शाम को दिल्ली से भोपाल लौटकर मंत्री नागर सीधे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे और डॉ. मोहन यादव के समक्ष अपने इस्तीफे के बयान पर खेद प्रकट किया. इसके बाद से उन्होंने पूरे प्रकरण पर मौन साध लिया है. अब उनको अनुसूचित जाति कल्याण विभाग पर ही संतोष करना होगा. हालांकि समूचे घटनाक्रम के कारण कांग्रेस को बैठे ठाले एक मुद्दा मिल गया. कांग्रेस नागर सिंह चौहान की नाराजगी को आदिवासियों की नाराजगी से जोड़कर यह जताने की कोशिश करेगी कि भाजपा का मूल चरित्र आदिवासी विरोधी है. सूत्रों का कहना है कि नागर सिंह चौहान लंबे समय तक चुप नहीं रहने वाले. भाजपा के भीतर उन्हें उकसाने वाले बहुत से नेता हैं. वैसे नागर सिंह चौहान को शिवराज सिंह चौहान का कट्टर समर्थक माना जाता है. नागर सिंह चौहान के मामले को हैंडल करने की जवाबदारी शिवराज सिंह चौहान को ही दी गई है.

 

 

 

 

 

पत्नी के सांसद बनने पर मंत्री पद छोड़ने की बात हुई थी

भाजपा सूत्रों का कहना है कि मंत्री नागर सिंह चौहान अब अपने वचन से पीछे हट रहे हैं. दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले उनकी पत्नी अनीता नागर चौहान को इसी शर्त के साथ रतलाम संसदीय सीट से टिकट दिया गया था कि पत्नी के सांसद बनने के बाद वह मंत्री पद से त्यागपत्र दे देंगे, लेकिन अब नागर अपनी बात से मुकर रहे हैं. इस पर भाजपा हाईकमान ने कड़ा रुख अपनाया है.

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