मियावाकी पद्धति से किया था पौधारोपण
योजना क्रमांक 78 में किया है विकसित
नवभारत न्यूज़
इंदौर. इंदौर विकास प्राधिकरण ने पिछले साल मियावाकी पद्धति से शहर के पूर्वी क्षेत्र में पौधारोपण किया था. यह सिटी फारेस्ट विकसित करने की योजना का हिस्सा था. एक साल में मियावाकी पद्धति से लगाएं पौधे ने घने जंगल का रूप अख्तियार कर लिया है. यह आईडीए की योजना 78 में विकसित किया गया है.
आईडीए ने पिछले वर्ष 2023 में योजना 78 अरण्य के बगीचे की जमीन पर करीब तीस हजार वर्गफुट में 7500 पौधे मियावाकी पद्धति से लगाए थे. एक साल में ही उक्त पौधे ने वृक्षों का रूप ले लिया है. इससे क्षेत्र में हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य नजर आने लगा है. योजना 78 अरण्य के बगीचे से प्रेरित होकर आईडीए ने इस साल अपनी टीपीएस योजनाओं की जमीनों पर वृक्षारोपण महा अभियान में मियावाकी पद्धति से पौधारोपण किया है. मियावाकी पद्धति में पौधों की देखभाल के लिए एक साल का समय लगता है, जिसमें सिंचाई, निंदाई, गुढ़ाई बराबर होती रहती है. साथ ही हर तीन 3 माह में खाद और कीटनाशक का छिड़काव निरंतर करना पड़ता है. योजना 78 अरण्य में नीम बड़, पीपल, करंज, सीताफल, आँवला, कचनार जामुन जैसे विभिन्न प्रजातियों के पौधे अब बड़े होकर वृक्ष नजर आने लगे है. मियावाकी की विशेषता यह है कि इसमें पौधे तेजी से बढ़ते हैं और शीघ्र ही एक घने जंगल का रूप धारण कर लेते हैं.
इनका कहना है…
आईडीए के सीईओ आरपी अहिरवार ने बताया कि इस वर्ष टीपीएस 5 में 6 गार्डन, टीपीएस 8 के 2 गार्डन, टीपीएस 3 के 2 गार्डन तथा स्कीम न. 71 के ग्रीन बेल्ट में मियावाकी पद्धति द्वारा सघन वृक्षारोपण किया गया हैं.
आईडीए का योजना 78 अरण्य का बगीचा शहर के अन्य क्षेत्रों में पर्यावरण विकास के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा.