एम्बूलेंस नहीं पहुंचने के कारण तडफ़कर महिला की मौत

दूषित पानी और भाजी खाने से बीमार हुए थे आदिवासी, चिमटीपुर में तैनात स्वास्थ्य और पीएचई महकमा

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के पातालकोट में भारिया जनजाति को संरक्षित करने करोड़ों रूपए का बजट प्रदान कर सुविधाएं देने शासन के दावे खोखले नजर आ रहे है। आज भी यहां के आदिवासी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं के तरस रहे है। घर घर नल जल योजना यहां दम तोड़ते नजर आ रही है। यहां बिजली, पानी और सडक़ जैसी सुविधाओं का अभाव है। सडक़ें तो है, लेकिन बारिश में जगह जगह से बह गई, पेयजल दूषित है, बिजली का भरोसा नहीं कब तक रहेगी। इस तरह असुविधाओं में रहने मजबूर है चिमटीपुर सहित आधा दर्जन गांव के आदिवासी…

पातालकोट के चिमटीपुर में पांच दिन पूर्व दूषित पानी पीने और भाजी खाने के कारण डायरिया फैलने से एक महिला और एक बच्ची की मौत हो गई है। वही तकरीबन दो दर्जन ग्रामीण अभी भी डायरिया का शिकार है। जिसमें कुछ लोगों को तामिया और परासिया में भर्ती कराया गया है। वही कुछ लोगों का गांव में ही इलाज चल रहा है। नवभारत टीम ने मौके पर पहुंचकर हकीकत को जाना। ग्रामीण आदिवासी ऋिषी कुमार ने बताया कि गांव में तीन कुएं है। जिसमें एक कुआ नीचे और नजदीक है। तीनों कुएं से पीने का पानी भरकर लाते है। जो नीचे का कुआं है। उसमें बारिश के कारण पानी दूषित हो गया है। जितने भी परिवारों ने इस इस कुएं का पानी पिया है। उतने ही लोग डायरिया का शिकार हुए है। इनमें से एक महिला अतरवती उइके गंभीर रूप से बीमार हो गई। सूचना के बाद भी एम्बूलेंस नहीं पहुंची। जिसके बाद बीमार महिला और अन्य मरीजों को गामा से अस्पताल ले जा रहे थे। इसी दौरान गांव से कुछ दूरी पर पहुंचने के बाद उक्त महिला की मौत हो गई। गामा से उस महिला का शव उतारकर गांव लाया गया। जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया। बकाया मरीजों को तामिया, परासिया और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद सभी मरीजों के स्वास्थ में सुधार बताया जा रहा है। वही डायरिया से एक बच्ची की मौत भी हुई है। बता दें कि महिला की मौत के बाद खबरें प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ विभाग की नींद खुली। उसके बाद बीएमओ सहित अन्य डाक्टरों की टीम मौके पर पहुंची। जहां ग्रामीणों की जांच के बाद इलाज मुहैया कराया गया। इसके बाद पीएचई की टीम को बुलाया गया। सभी कुओं के पानी के सेम्पल लिए गए। जिसमें गांव के नजदीक एक कुएं का पानी दूषित पाया गया है। अब प्रशासन ने उस कुएं से पानी पीने पर रोक लगा दी है। आदिवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। वही पीएचई की टीम बोर करने पहुंची है। फिलहाल स्वास्थ और पीएचई महमका गांव में नजर रखे हुए है।

मृतिका का चल रहा था तीसरा कार्यक्रम

नवभारत की टीम जब गांव में पहुंची तो शुरूआत में मृतिका घर था। जहां उसका तीसरे का कार्यक्रम चल रहा था। उसके परिजन बिलख बिलख कर रहे रहे थे। पूरा गांव कार्यक्रम में शामिल हुआ था। दूसरी तरफ बीमारी को लेकर पूरा गांव दहशत में है। अभी भी ग्रामीण बीमारी को लेकर डरे सहमे हुए है। हालांकि स्वास्थ्य और पीएचई महकमा मौके पर पर है। हर पल नजर बनाए हुए है।

एक दिन बाद पहुंची एम्बूलेंस

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एकदम से करीब एक दर्जन से अधिक परिवारों में सभी को अचानक उल्टी दस्त होने लगे। जिसमें अतरवती की हालत गंभीर हो गई। एम्बूलेंस को सूचना दी गई, लेकिन दो घंटे तक एम्बूलेंस नहीं पहुंची। महिला की हालत और गंभीर हो गई। इसके बाद निजी वाहन से ले जाते समय उसकी मौत हो गई। जब महिला का अंतिम संस्कार हो गया। दूसरे दिन एम्बूलेंस पहुंची। ग्रामीणों का कहना है कि यहां एक एम्बूलेंस सेवा प्रदान की जाना चाहिए। जिससे मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके। ग्रामीणों को आने जाने के लिए सडक़ों का डामरीकरण किया जाना चाहिए।

बारिश में बह गए रास्ते

शासन ने बिजौरी और छिंदी से कारेआम गांव पहुंचने के लिए पक्के रास्ते बनाए है। बारिश के कारण चिमटीपुर के पूर्व करीब 15-20 किमी मार्ग जगह से बह गया है। सडक़ें जगह जगह खराब हो चुकी है। बता दें कि चिमटीपुर और कालेआम छिंदी के आखिरी गांव है। जो पहाड़ों के नीचे तलहटी में बसे हुए है। यहां के पहुंच मार्ग अति दुर्गम है।

घटिया सडक़ निर्माण की खुली पोल

जिला प्रशासन की कारेआम पहुंचने के लिए बनाई सडक़ें बारिश की भेंट चढ़ गई है। जो सडक़ की गुणवत्ता की पोल खोल रही है। जरा सी बारिश में सडक़ं जगह जगह से बह गई है। ऐसे में इस गांव तक पहुंचना बहुत ही मुश्किलों वाला सफर है। सबसे बड़ी बात यह है कि बारिश के समय में आदिवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वही प्रसव के दौरान भी यहां से गर्भवती महिला को ले जाना किसी युद्ध से कम नहीं है।

इनका कहना…

गांव में अचानक कुछ घरों में उल्टी दस्त होने लगे। अतरवती की हालत ज्यादा खराब हो गई थी। एम्बूलेंस को फोन किया नहीं आई। गामा वाहन से ले समय गांव से निकलते ही दम तोड़ दिया। इसलिए यहां एक स्थाई एम्बूलेंस उपलब्ध करवाई जाए। सडक़ें खराब होने के कारण समय पर नहीं पहुंच पाते। इसलिए सडक़ों को बनवाया जाए।

भूरालाल उइके, चिमटीपुर निवासी

सूचना मिलने पर स्वास्थ विभाग और पीएचई अमला यहां पहुंच गया है। मरीजों का ध्यान रखा जा रहा है। उन्हें इलाज मुहैया कराया जा रहा है। पानी के सैम्पल लिए गए है। जिस कुएं का पानी पीने से ग्रामीण बीमार हुए है। उसके कुए को बंद करवाया जा रहा है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है। ग्रांव में एक बोर भी करवाया जा रहा है।

डॉ जीतेंद्र उइक, बीएमओ तामिया

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