उज्जैन में बनेगा अंतरराष्ट्रीय वैदिक गुरुकुल

महर्षि सांदीपनि के वंशज पंडित रूपम व्यास से नवभारत की विशेष बातचीत

 

नवभारत न्यूज़

 

उज्जैन. श्रीमद् भागवत गीता के माध्यम से विश्व को ज्ञान प्राप्त कराने वाले भगवान श्री योगेश्वर श्रीकृष्ण स्वयं विद्या अर्जित करने के लिए महर्षि सांदीपनि के आश्रम द्वापर युग में आए थे. भगवान बलदाऊ मित्र सुदामा ने श्री कृष्ण के साथ उज्जैन आश्रम में 64 दिनों तक विद्या अर्जित की. अब भगवान श्री कृष्ण की 64 कला और उज्जैन से जुड़े प्रसंगों पर आधारित सभी अलग-अलग प्रकल्पों को एक रूप करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर का वैदिक गुरुकुल उज्जैन में स्थापित किया जाएगा. जिसमें न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि देश के सभी प्रदेशों से विद्या अध्ययन के लिए बटुक इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहुंचेंगे.

 

नवभारत ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि संदीपनी गुरु के वंशज पंडित रूपम व्यास से जब भगवान श्री कृष्ण और बलराम व सुदामा के यहां उज्जैन आकर अध्ययन के विषय में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि देश और दुनिया को श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता का जो ज्ञान दिया है ऐसे मे उनकी शिक्षा स्थली सांदीपनी आश्रम अब अंतरराष्ट्रीय वैदिक गुरुकुल में परिवर्तित होगा. इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एक ड्रीम प्रोजेक्ट बनाया है जो जल्द ही साकार होगा. पंडित रूपम व्यास ने बताया कि यह 5.45 बीघा आश्रम की जमीन है और 1979 में यहां पहली बार पक्का मंदिर बना था. इसके पहले यहां पर सांदीपनि की एक घास फूस की कुटिया ही थी और ऐसी ही कच्ची जगह पर भगवान श्री कृष्ण सुदामा और बलराम विराजमान थे. डॉ मोहन यादव जब मंडल अध्यक्ष थे तब से आश्रम से वह जुड़े हुए हैं और यहीं पर आकर वह धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करते थे. वह आज भी स्वीकार करते हैं कि महर्षि सांदीपनी जी गुरु का उन पर असीम आशीर्वाद है,उनकी कृपा है. मंडल अध्यक्ष से मुख्यमंत्री तक डॉ मोहन यादव ने जो यात्रा तय की है उसमे इस आश्रम का एक बहुत बड़ा योगदान वे मानते हैं. यही कारण है कि मंदिर और आश्रम का न सिर्फ मुख्यमंत्री डॉ यादव विस्तार करने वाले हैं बल्कि युद्ध स्तर पर 64 कलाओं पर आधारित वैदिक गुरुकुल की स्थापना करने की दिशा में अद्भुत कार्य कर रहे हैं.

 

विश्व भर में अनुसरण किया जाएगा

महर्षि सांदीपनि गुरु के नाम से देश में कई प्रकल्प संचालित होते है सिर्फ वैदिक गुरुकुल नहीं है. यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए उज्जैन से इसकी शुरुआत की जाएगी. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भगवान श्री कृष्ण ने स्वय उज्जैन में आकर विद्या अर्जित की. इस आश्रम में कृष्ण ने 64 कलाएं सीखी उसी तारतमय्य मे अब उसका विश्व भर में अनुसरण किया जाएगा और यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का वैदिक गुरुकुल निर्मित होगा.

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