गुरु पूर्णिमा आध्यात्मिक गुरुओं के सम्मान को प्रकट करने के लिए मनाया जाने वाला पर्व है: मिश्र
सिंगरौली : भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई दिन रविवार को मनाई जाएगी।गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं।
पं. डॉ. एनपी मिश्र शिवधाम मंदिर बैढ़न के अनुसार इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर कई दुर्लभ योगों का संयोग बन रहा है। जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। वही मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान वेद व्यास जिन्हें हिंदू धर्म का अन्य गुरु माना जाता है का जन्म हुआ था। वेदव्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी।
इसके अलावा गुरु पूर्णिमा को भगवान कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को ज्ञान प्रदान करने के लिए चुना था। इसी दिन भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था। ऐसे में माना जाता है कि जिन गुरुओं ने हमें गढ़ने में अपना योगदान दिया है उनके प्रति हमें कृतज्ञता का भाव बनाए रखना चाहिए और उसे जाहिर करने के दिन के तौर पर ही गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है । शास्त्रों में यह भी कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने चारों वेद की रचना की थी और इसी कारण से उनका नाम वेद व्यास पड़ा ।