हाईकोर्ट ने जारी परमिट पर लगाई रोक
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस जी एस अहलूवालिया की एकलपीठ ने जिला पंचायत सदस्य की अनुशंसा पर जारी परमिट पर रोक लगा दी। इस अंतरिम आदेश के साथ ही आरटीओ नर्मदापुरम पर पच्चीस हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। उक्त जुर्माने की 22 जुलाई तक जमा करनी होगी।यह मामला नर्मदापुरम निवासी मोहम्मद इकबाल की ओर से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया कि आरटीए सचिव – आरटीओ, नर्मदापुरम द्वारा जारी अस्थाई परमिट चुनौती के योग्य है।
ऐसा इसलिए क्योंकि यह अस्थाई परमिट जिला पंचायत सदस्य की अनुशंसा के आधार पर जारी किया गया है। न्यायालय को बताया गया कि मोटर व्हीकल एक्ट के विहित प्रावधान अंतर्गत किसी भी जनप्रतिनिधि या राजनीतिक व्यक्ति को परमिट के सिलसिले में अनुशंसा करने का अधिकार नहीं है। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट का न्याय दृष्टांत मार्गदर्शी है। सुप्रीम कोर्ट ने पंचम चंद्र विरुद्ध हिमाचल राज्य प्रकरण में पारित आदेश में मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर जारी परमिट को असंवैधानिक करार दे दिया था।
यही नहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पर एक लाख रुपये का जुर्माना तक लगा दिया गया था। आवेदक़ की ओर से मामले में कहा गया कि परमिट आदेश 30 जून तक के लिए दिया था, किंतु परमिट 31 जुलाई तक जारी कर दिया गया। जिससे स्पष्ट है कि अस्थाई परमिट जारी करने में घोर अनियमितता की गई है। इसीलिए हाईकोर्ट ने समस्त रिकार्ड तलब किया था। चूंकि रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया, जिस पर हाईकोर्ट ने उक्त निर्देश दिये।