वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दूसरे दिन मुस्लिम पक्ष भी हुआ शामिल, दोनों पक्षों की मौजूदगी में चल रहा है कार्य
धार। केन्द्रीय पुुरातत्व विभाग अधीन धार शहर की पुरा महत्व के विवादित स्मारक भोजशाला व कमाल मौलाना मस्जिद परिसर में एएसआई ने दूसरे दिन भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण कार्य किया। शनिवार के दिन सर्वेक्षण में मुस्लिम पक्ष की और से सदर अब्दुल समद शामिल हुए थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों की मौजूदगी में एएसआई ने भोजशाला इमारत और उसके बाहरी क्षेत्र में कहीं मशीनों तो कहीं केमिकलों का उपयोग करके जांच गतिविधियां की। इस दौरान परिसर के एक हिस्से में उत्खनन भी किया गया। यहां से मिट्टी एवं खुुदाई में मिले अन्य सेम्पल एकत्रित किए गए, इनका परीक्षण किया जाएगा। इससे उनकी आयु सहित अन्य जानकारियां प्राप्त की जाएगी। इस सर्वेक्षण के आधार पर विवादित स्मारक का धार्मिक स्वरूप तय होगा। हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर सर्वे के आदेश उच्च न्यायालय इंदौर की खंडपीठ ने दिए है। हिन्दू पक्ष की और से याचिकाकर्ता आशीष गोयल एवं भोजशाला मुुक्ति आंदोलन के गोपाल शर्मा सर्वेक्षण में मौजूद थे। सर्वेक्षण दल में अनुभवी लोग शामिल है। इनमें से कुछ अधिकारियों ने अयोध्या में हुए वैज्ञानिक सर्वेक्षण में सहभागिता की थी।
मोबाईल बाहर, तलाशी के बाद प्रवेश
सर्वेक्षण कार्य में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी पूर्ण गोपनीयता बरत रहे है। सर्वेक्षण कार्य में शामिल होने वाले मजदूर एवं दोनों पक्षों के लोगों को जांच के पश्चात अंदर जाने दिया जा रहा है। शनिवार को सर्वेक्षण कार्य में मदद के लिए बुलाए गए मजदूरों को भी तलाशी लेकर अंदर जाने दिया गया। उनके मोबाईल भी बाहर रखवा लिए गए। दूसरे दिन के सर्वेक्षण में प्रात: 8 बजे कार्य प्रारंभ किया गया। साढ़े 5 बजे के दरम्यिान काम बंद कर दिया गया। इधर इमारत के बाहर के परकोटे में सर्वे के पूर्व सड़क मार्ग से खुले दिखने वाले स्थान को हरी नेट से ढंककर सुरक्षित कर दिया गया। वहीं मार्ग पर पुलिस बल भी तैनात किया गया है। कोई भी व्यक्ति फोटो या विडियोग्राफी खुले हिस्से ना कर पाए। इस बात की चौकसी तैनात बल कर रहा है। परिसर के बाहरी हिस्से में आवासीय मकान भी है। यहां भी लोगों को फोटोग्राफ्स ना लेने के लिए समझाईश दी गई है। वहीं ऊपरी हिस्से से दूरबीन से भी लगातार निगरानी की जा रही है। वहीं पर्यटकों का प्रवेश आगामी आदेश तक प्रतिबंधित कर दिया गया है।
यह है विवाद
उल्लेखनीय है कि विवादित परिसर को हिन्दू समुदाय हिन्दू राजाओं द्वारा निर्मित स्थल एवं मंदिर के रूप में मानता है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद बताते है। विवादित इमारत को हिन्दू पक्ष द्वारा राजा भोज द्वारा निर्मित बताया जाता है। भोज का राज्यारोहण 1000 वीं शताब्दी में हुआ था। वैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से वहां पर मौजूद हिन्दू सभ्यता के प्रतीक स्तंभों एवं अन्य मौजूद वस्तुओं के परीक्षण से उनकी आयु भी पता लगाई जाएगी।
मुस्लिम पक्ष ने कहा बाहर से लाए वस्तुएं
सर्वेक्षण कार्य में शनिवार को दूसरे दिन शामिल हुए मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद ने सर्वेक्षण पर सवाल खड़े किए। उन्होंने मीडिया से कहा कि 24 घंटे पहले सूचना नहीं दी गई। वह बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वे के लिए कहा था। उसका पालन नहीं किया गया। इधर सर्वेक्षण को लेकर श्री समद ने कहा कि परिसर में कई चीजें बाहर से लाकर प्लांट की गई है। इसको लेकर हमने शिकायतें भी की थी। इसी परिसर से जुड़े मामलों में जबलपुर कोर्ट में याचिका पेंडिंग चल रही है। इस बीच सर्वेक्षण के आदेश जारी कर दिए।
हिन्दू पक्ष ने कहा सत्य की जीत होगी
सर्वेक्षण कार्य में शामिल हिन्दू पक्ष से याचिकाकर्ता आशीष गोयल केसरिया दुपट्टा पहनकर सर्वेक्षण में शामिल हुए थे। उन्होंने मीडिया से कहा है कि यह सर्व विदित और प्रमाणित है कि यह मां सरस्वती का प्राकट्य स्थल है। हम कोर्ट इसीलिए गए है। सर्वेक्षण के पश्चात वास्तविक स्थितियां सामने आएगी। सत्य की जीत होगी। पता नहीं दूसरा पक्ष यह बात समझने को क्यों तैयार नहीं है।