नयी दिल्ली 19 जुलाई (वार्ता) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जलवायु न्याय का आह्वान करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह हाशिये के और कमजोर लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
श्री धनखड़ ने यहां “जैव ऊर्जा: विकसित भारत का मार्ग” विषय पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन मानव जाति के लिए एक अस्तित्व का संकट है। प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और वनों की कटाई से जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रह तबाही के करीब पहुंच गया है।
लंबे समय तक सूखे, जंगल की तेज आग और अभूतपूर्व तूफान जैसे जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव पर
श्री धनखड़ ने कहा कि ये परिवर्तन न केवल कमजोर आबादी को खतरे में डालते हैं, बल्कि जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालते हैं। प्राकृतिक संसाधनों और कृषि प्रणालियों पर महत्वपूर्ण दबाव डालते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व और पारिस्थितिकी के प्रति गहरा सम्मान, भारत के सभ्यतागत लोकाचार का एक आंतरिक पहलू रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु न्याय लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन हाशिए के और कमजोर समुदायों को प्रभावित करता है। जैव ऊर्जा के लाभों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, आधुनिक जैव ऊर्जा न केवल स्वच्छ ईंधन प्रदान करती है, बल्कि प्रदूषण को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने, आयात को कम करने और स्थानीय रोजगार पैदा करने में भी मदद करती है।