चिकित्सकों ने दिया नया जीवन, ह्रदय के वाल्व का बलून से बिना सर्जरी सफल उपचार
जबलपुर: 6 दिन का नवजात शिशु बालाघाट से शरीर के नीले पड़ जाने की वजह से नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के नियोनेटल आईसीयू में रेफर किया गया। ईको की जॉच में बच्चे की डायग्नोसिस क्रिटीकल पल्मोनरी वाल्व स्टीनोसिस एवं एट्र्रीयल सेंप्टल डिफेक्ट नाम की गंभीर बीमारी का पता चला। इस संबंध में सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के शिशु ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रदीप जैन द्वारा बताया गया है कि ये बच्चों में पायी जाने वाली बहुत दुर्लभ तथा गंभीर बीमारी होती है, जिसमें फेफड़े को सप्लाई करने वाली नस के वाल्व में बहुत ज्यादा सिकुडऩ होती है जिससे बच्चे का शरीर नीला पडऩे लगता है।
बच्चे को भर्ती करते समय ऑक्सीजन लेवल 44 प्रतिशत था। बच्चे को इमरजेंसी में कैथ लेब में लेकर जॉघ की नस से जाकर बलून के द्वारा वाल्व की सिकुडऩ को बिना चीर फाड़ ठीक किया गया, जिसके फलस्वरूप फेफड़े को सप्लाई करने वाली नस में रक्त का प्रवाह सामान्य हो गया एवं बच्चे का ऑक्सीजन लेवल बढक़र 92 प्रतिशत हो गया । बच्चे को एक सप्ताह बाद पूर्णत: स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दी गई। उक्त उपचार आयुष्मान निरामयम भारत योजना के तहत् पूर्णत: नि:शुल्क किया गया। उक्त उपचार में डीन डॉ.नवनीत सक्सेना, डायरेक्टर डॉ.अवधेश कुशवाह, अधीक्षक ले.कर्नल डॉ.जितेन्द्र गुप्ता का विशेष योगदान एवं मार्गदर्शन रहा है। साथ ही डॉ.सुहेल सिद्दिकी एवं अन्य कार्डियोलॉजी विभाग, डॉ. ललित मालवीय एवं अन्य नियोनेटोलॉजी विभाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।