एडीएम ने अपना जांच प्रतिवेदन कलेक्टर के यहां भेजा, जानकारी देने में आनाकानी, एसडीओ पर एक अधिकारी पर है कृपा
सिंगरौली : जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ संविदा सहायक यंत्री की मुश्किले एक ेके बाद एक बढ़ती जा रही है। वर्ष 2001 के बाद तीसरी संतान का मामला जोर पकड़ लिया है। शिकायतकर्ता ने संभागायुक्त रीवा के यहां आवेदन पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच कराकर कार्रवाई किये जाने की मांग की है।दरअसल जिला शिक्षा केन्द्र में पदस्थ सहायक यंत्री विनोद शाह के खिलाफ अमन कुमार द्विवेदी निवासी हिनौती सलैया ने संभागायुक्त रीवा के यहां शिकायत पत्र भेजा है कि उनकी तीसरी संतान 26 जनवरी 2001 के बाद हुई है। शिकायतकर्ता ने पत्र के साथ समग्र सूची भी शामिल किया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि सहायक यंत्री राजनैतिक घराने से ताल्लुकात रखते हैं। राजनैतिक दबाव एवं स्थानीय होने के कारण उक्त मामले में प्रशासन गोलमाल एवं तालमटोल करते हुये शिकायत पत्रों को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है। हालांकि पिछले माह कलेक्टर ने उक्त मामले की जांच अपर कलेक्टर को सौंप कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया था। सूत्र बता रहे है कि बड़ी मुश्किल से एडीएम ने उक्त मामले की जांच करते हुये पिछले दिनों प्रतिवेदन कलेक्टर के यहां दे दिया है। लेकिन प्रतिवेदन में क्या उल्लेख है और क्या क मियां पाई गई।
जिम्मेदार अधिकारी जानकारी देने से इंकार कर रहे हैं। शिकायत में इस बात का भी जिक्र है कि पिछले वर्ष 27 मार्च को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सिंगरौली ने सहायक यंत्री विनोद शाह पर कृपा दिखाते हुये मनरेगा एवं ग्रामीण यांत्रिकी के कार्यों के देख रेख का जिम्मा सौंप दिया है। जहां जनपद पंचायत बैढ़न क्षेत्र के कई पंचायतों के कार्योंं को देख रेख एवं जवाबदेही सौंपी गई है। शिकायतकर्ता ने सहायकयंत्री पर अन्य कई गंभीर आरोप लगाकर उक्त मामले की जांच कराते हुये कार्रवाई किये जाने की मांग की है।
शिकायतकर्ता ने सीईओ को भी घेरा
शिकायतकर्ता ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाया है। शिकायत में बताया है कि सहायक यंत्री के खिलाफ कई बार आवेदन पत्र दिया गया। लेकिन सीईओ उक्त शिकायतों को रद्दी टोकरी में डलवाने का काम करते हैं। जिसके चलते कार्रवाई नही हो पा रही है। जबकि सहायक यंत्री की मूल पदस्थापना जिला शिक्षा केन्द्र है। किन्तु जिला पंचायत सीईओ ने सहायक यंत्री पर दया दृष्टि दिखाते हुये पंचायतों का कामकाज बतौर इनाम के रूप में सौंप दिया है और इस दौरान उनकी अन्य कार्य गुजारी भी जग जाहिर है।