साढ़े नौ किलोमीटर लंबी सड़क में कई बाधा ,फिर काम चालू….

डेढ़ किलोमीटर में बस्ती और दो किलोमीटर में ईट भट्ठे

180 करोड़ की सड़क में चार ठेकेदार , टीपीएस 8 का आधा बजट

इंदौर:आईडीए लवकुश चौराहे से अरण्या बायपास तक साढ़े नौ किलोमीटर लंबी एम.आर .12 सड़क का निर्माण कर रहा है। इस सड़क के निर्माण में बड़ी बाधाऐं है। बावजूद इसके काम शुरू कर दिया गया है। यह सड़क पांच साल में पूरी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस सड़क पर एक रेलवे ओवर ब्रिज और एक कान्ह नदी पर फ्लाई ओवर का निर्माण भी किया जाएगा। खास बात यह है कि उक्त सड़क को चार हिस्सों में चार ठेकेदार कंपनी बनाएगी।

आईडीए ने लवकुश चौराहे से फागुन होटल तक सड़क का काम शुरू दिया है। इस हिस्से को बनाने का ठेका पी डी अग्रवाल को 50 करोड़ में दिया है। यह सड़क दो सौ फीट चौड़ी बन रही है और 9.5 किलोमीटर लंबी होगी। इसका करीब डेढ़ किलोमीटर का हिस्सा बन चुका है। इसके अलावा आगे दो किलोमीटर का काम पृथ्वी कंस्ट्रक्शन और फिर एक किलोमीटर का टुकड़ा अमरनाथ खत्री एंड कंपनी को दिया है। बचा हिस्सा एक अन्य ठेकेदार को दिया है। आईडीए को पूरी सड़क बनाने की लागत 180 करोड़ रुपए आएगी।

सड़क निर्माण का काम आईडीए ने भले ही शुरू कर दिया हो , लेकिन रेलवे ओवर ब्रिज, कान्ह नदी पर पुल और सबसे बड़ी बाधा सड़क के रास्ते में बसी रविदास नगर बस्ती और ईट भट्ठे है। यह सड़क टीपीएस 8 स्कीम को कवर करती है। खास बात यह है कि उक्त सड़क निर्माण की अलग से स्वीकृति नही है यह टीपीएस 8 योजना का ही हिस्सा है। आईडीए ने पूरी योजना के विकास का बजट 4 सौ करोड़ का बनाया है। इसमें अभी रेलवे ओवर ब्रिज और कान्ह नदी फ्लाई ओवर के काम की लागत अलग से जुड़ेगी।

कान्ह नदी के फ्लाई ओवर के टेंडर जारी करने के तैयारी

आईडीए के अनुसार एम आर 12 पर कान्ह नदी पर फ्लाई ओवर बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके टेंडर जल्दी जारी हो जाएंगे। रेलवे ओवर ब्रिज के लिए रेलवे से अनुमति मिलने के बाद आगे की प्रकिया शुरू होगी।

सड़क में बड़ी बाधा ईट भट्ठे और बस्ती

एम आर 12 सड़क में सबसे बड़ी बाधा करीब डेढ़ किलोमीटर में बसी रविदास नगर बस्ती है ,जिसे हटाना आसान नहीं है। वहीं सड़क में बाधक भंगिया और शक्कर खेड़ी गांव के 40 से 50 ईट भट्ठे है , जो सड़क को अरण्या बायपास से जोड़ने में सबसे बड़े स्पीड ब्रेकर है।

बाधक हटाएं बगैर काम कैसे शुरू

आईडीए शहर में शुरू से ही मास्टर प्लान की मेजर रोड बनाने का काम शुरू तो कर देता है , लेकिन पूरी वर्षो में होती है। मतलब यह है कि साइट क्लीयर नहीं, लेकिन ठेका देकर जितनी जगह क्लियर है उतनी बना कर छोड़ देता है। बाधक हटाने के लिए फिर शासन , प्रशासन के भरोसे आगे की कारवाही का इंतजार करता है। पूर्व में इसका उदाहरण है एम आर 2 और 3 सड़क जो आज तक अधूरी पड़ी है।

डेढ़ किलोमीटर से ज्यादा सड़क का निर्माण

आईडीए ने एम आर 12 सड़क का लवकुश चौराहे से फागुल होटल के पहले 4.5 किलोमीटर हिस्से में से डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क बना दिया है। इसका काम पी डी अग्रवाल कंपनी कर रही है।

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