महिला जज का माफीनामा हाईकोर्ट ने स्वीकारा

दुर्घटना दावा राशि 10 वर्ष के लिए एफडी करने का दिया था आदेश
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण बुरहानपुर की प्रधान न्यायाधीश आशिता श्रीवास्तव ने अपना माफीनामा पेश किया। जस्टिस  विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने माफीनामा स्वीकार कर लिया। हालांकि उनके कथन को सर्विस रिकार्ड में दर्ज करने की भी व्यवस्था न्यायालय ने दी है। साथ ही महिला जज द्वारा 20 फरवरी 2024 को पारित मनमाना आदेश निरस्त कर दिया है। मामला दुर्घटना दावा की राशि 10 वर्ष के लिए फिक्स डिपाजिट करने के आदेश को चुनौती से संबंधित था। इस सिलसिले में विगत सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने महिला जज से यह स्पष्टीकरण मांगा था कि उन्होंने किस नियम के तहत दुर्घटना दावा की राशि 10 वर्ष के लिए एफडी करने का आदेश दिया।

न्यायालय ने इस मामले में ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था। याचिकाकर्ता बुरहानपुर निवासी कलीमा बी सहित अन्य की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु दुर्घटना में हो गई थी। वर्ष 2013 में अधिकरण ने साढ़े नौ लाख रुपये की दावा राशि निर्धारित की थी। इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी ने अपील पेश की थी, जिसका निराकरण 2023 हुआ। इसके बाद आवेदिका ने एमएसीटी कोर्ट में राशि के भुगतान के लिए परिवाद पेश किया। एमएसीटी की प्रधान न्यायाधीश आशिता श्रीवास्तव निर्धारित राशि का 75 प्रतिशत एफडी और 25 प्रतिशत राशि नगद भुगतान के निर्देश दिए। दलील दी गई कि वर्ष 2013 में दावा निर्धारित हुआ था, जिसके बाद अपील की अवधि में 10 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, इसलिये अब पूरी राशि नगद भुगतान की जानी चाहिए।

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