जिला अस्पताल में इलाज कराना कुश्ती लडऩे जैसा?

 

नवभारत न्यूज

खंडवा। जिला अस्पताल की ओपीडी पर सैकड़ों लोग कतार में हैं। पर्ची कटवाने के चारों काउंटर्स पर मेला लगा है। डाक्टर को दिखाने के लिए दो से तीन घंटे की लाइन है। इसके बाद गोली दवा लेने के लिए भी दो घंटे में नंबर आ रहा है। लाइनें देखकर मरीज को लाने वाला अटेंडर भी इन प्रक्रियाओं में बीमार हो जाएगा। एक पूरा दिन तो यहीं के चक्कर काटने में लग रहा है। इसके अलावा यदि जांच करवाना हो तो दो दिन चाहिए।

खंडवा जिला अस्पताल से मेडिकल कालेज व अस्पताल में बदल गया है। केवल नाम बदला है, सुविधाओं के नाम पर वही, अभाव में चल रहा है। महंगी मशीनों के आपरेटर ही नहीं हैं। खंडवा जिला ही नहीं संभलता था। अब पांच जिलों के मरीजों का बर्डन मेडिकल कालेज वाले इस अस्पताल को भुगतना पड़ रहा है। केवल बड़ी बिल्डिंग्स से उपचार नहीं होता। डाक्टरों की तादाद सैकड़ों में हैं।

इनमें ईगो की लड़ाई ?

अव्यवस्था पर सीएमएचओ और मेडिकल के स्टाफ में रोज इगो की लड़ाई होती है। मरीज बेचारे भटकते रहते हैं। निमाड़ के चार जिलों के अलावा हरदा जिले तक के मरीज मेडिकल कालेज के नाम पर आ रहे हैं। इसी कारण भीड़ बढ़ रही है। कलेक्टर केवल औपचारिकता जैसा भ्रमण करते हैं। डाक्टर इसलिए नहीं दबते,क्योंकि इनकी जरूरत सरकार को है। थोड़ा सा प्रशासन दबाव डालता है,तो इस्तीफे की पेशकश कर देते हैं।

25 साल से यहीं डाक्टरी

सीएमएचओ की पच्चीस साल की नौकरी यहीं निकल गई। अस्पताल की जिम्मेदारी सिविल सर्जन की ज्यादा है। वे प्रशासनिक मामलों में कमजोर लग रहे हैं। कर्मचारियों की मर्जी भारी-भीड़ के बावजूद ढीली-ढाली चल रही है। अरबों रुपए खर्च करने के बावजूद खंडवा के जिला चिकित्सालय की हालत खराब है।

गरीबों की तकलीफ ज्यादा

मरीजों की सुविधा और सामान्य तबके के लिए सरकार ने बनाया है। इसमें हर महीना करोड़ों रुपए वेतन व मेंटेनेंस में जा रहा है। फिर भी मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल कालेज के बड़ी डिग्रियों वाले कई डाक्टरों ने निजी प्रेक्टिस के क्लीनिक खोल लिए हैं। मेडिकल स्टोर्स व दवा कंपनियों वाले इनका खर्चा भी उठा रहे हैं।

काबिल डाक्टर भी हैं यहाँ

अधिकतर मरीज तो मेडिकल कालेज का अस्पताल सोचकर खंडवा आ जाते हैं। ऐसा नहीं कि यहां इलाज ही नहीं होता। कई डाक्टर्स तो इतने एक्सपर्ट हैं, कि मुंबई-दिल्ली का इलाज भी खंडवा में कर देते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या कम है। खंडवा के अस्पताल को भी और लक्झरी व सुविधायुक्त बनाकर यहां प्रशासन का हस्तक्षेप ज्यादा होना चाहिए। तभी राज्य सरकार की गरीबों को बड़े उपचार की कल्पना साकार हो सकेगी।

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