लाडली बहना और दलित कोटा पूरा करने आगे बढ़ाया भिंड सांसद का नाम
हरीश दुबे
ग्वालियर: नतीजे आ गए, नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से एनडीए गठबंधन का नेता भी चुन लिया गया है, इसी के साथ नई कैबिनेट के गठन की सरगर्मी तेज हो गई है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की कैबिनेट में ग्वालियर चंबल अंचल को खासी वजनदारी हासिल थी, सियासत के गलियारों में उम्मीद लगाई जा रही है कि मोदी सरकार के थर्ड टर्म में भी यह सिलसिला जारी रह सकता है। मौजूदा सरकार में गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया नागरिक विमानन और इस्पात जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं। कहा जा रहा है कि नए मंत्रिमंडल में भी सिंधिया की यह वजनदारी बनी रहेगी। उनके अलावा भिंड सीट से लगातार दूसरी बार सांसद बनीं संध्या राय को भी महिला प्रतिनिधित्व के नाते नवीन मंत्रिमंडल में नुमाइंदगी मिलने की संभावना बनी हुई है।
ग्वालियर चंबल संभाग की चारों सीटों पर भाजपा ने एक बार फिर से जीत का परचम फहराया है। वरिष्ठता अनुक्रम की बात करें तो इस चुनाव में लोकसभा के लिए पांचवी बार निर्वाचित होकर सिंधिया प्रदेश के वरिष्ठतम सांसदों में शुमार हो गए हैं। अपने पिता के निधन के बाद राजनीति में आए सिंधिया का संसदीय राजनीति के साथ कैबिनेट में भी लम्बा ट्रैक रिकार्ड रहा है। वे कांग्रेस में रहते यूपीए-वन और यूपीए-टू दोनों केंद्र सरकारों में मंत्री रहे और संचार, आईटी, उद्योग और कोमर्से जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले थे। मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद भी उन्होंने केंद्रीय राजनीति में अपनी अहमियत बनाए रखी। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में 2021 में कैबिनेट के पहले विस्तार में ही उन्हें नागरिक विमानन मंत्री बनाकर ग्वालियर को विशेष प्रतिनिधित्व दिया था क्योंकि चंबल से नरेंद्र सिंह तोमर पहले से ही कैबिनेट में शामिल थे। चूंकि मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल में कैबिनेट में इस अँचल से दो बड़े चेहरे थे, लिहाजा माना जा रहा है कि तृतीय कार्यकाल में भी यह वजनदारी बरकरार रहेगी।
गठबंधन सरकार में अन्य सहयोगी दलों को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की राजनीतिक विवशता के चलते पहली बार सांसद चुनकर आए चेहरों को नई सरकार में मंत्री बनाए जाने की ज्यादा गुंजाइश नहीं दिखती, इस मापदंड पर ग्वालियर और मुरैना से पहली बार सांसद निर्वाचित हुए भारत सिंह कुशवाह और शिवमंगल तोमर को मौका मिलने की संभावना फिलवक्त तो नहीं दिखती, बाद में होने वाले विस्तार में जरूर उनकी उम्मीदें मुकम्मल हो सकती हैं लेकिन भिंड सीट से लगातार दूसरी बार सांसदी का चुनाव जीतीं संध्या राय को मोदी कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। चूंकि प्रदेश में भाजपा द्वारा इस बार क्लीन स्वीप किए जाने की पृष्ठभूमि में लाभार्थी लाडली बहनों के योगदान को खास माना जा रहा है, इस लिहाज से संध्या को मंत्री बनाकर केंद्र सरकार में महिला नुमाइंदगी को मजबूत किया जा सकता है। कुछ अन्य फैक्टर भी संध्या राय की संभावना को मजबूत बनाते हैं, मसलन वे भाजपा का दलित चेहरा होने के साथ ही सर्वाधिक उच्च शिक्षित सांसदों में भी शुमार होती हैं। वे भले ही दो बार से भिंड सीट से सांसद बनती आ रही हैं लेकिन मूलत: मुरैना जिले की निवासी हैं और मुरैना की दिमनी सीट से विधायक रहने के साथ ही वहां कई बडी सांगठनिक जिम्मेदारियां संभाली हैं। संगठन और सरकार के नीति नियंताओं का मानना है कि संध्या राय को मंत्री बनाकर चंबल संभाग के दोनों जिलों भिंड और मुरैना का प्रतिनिधित्व पूर्ण किया जा सकता है।
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84 में सिंधिया बने थे इस अंचल से पहले मंत्री
ग्वालियर चंबल की बात करें तो सन 84 में राजीव गाँधी सरकार में पहली बार स्व. माधवराव सिंधिया को रेल मंत्री बनाकर इस अंचल को प्रतिनिधित्व दिया गया था। उनके बाद मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में नरेंद्र सिंह तोमर कैबिनेट में जगह पाते रहे, हालांकि ग्वालियर में पले बढे और यहीं से राजनीति शुरु करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी सन 77 में मोरारजी सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए लेकिन तब वे नई दिल्ली सीट से चुनाव जीते थे। बाद में अटलजी तीन बार पीएम रहे लेकिन तीनों बार उनका संसदीय क्षेत्र लखनऊ रहा। 84 की हार के बाद उन्होंने कभी ग्वालियर से चुनाव नही लड़ा। इससे पहले वे 71 में ग्वालियर से सांसद निर्वाचित हुए थे।