हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
जबलपुर। राज्य शैक्षणिक संवर्ग में सम्मिलित किये गये शिक्षकों को ओल्ड पेंशन का लाभ प्रदान किये जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पाया कि प्रदेश सरकार ने एक व्यवस्था के तहत राज्य शैक्षणिक संवर्ग योजना प्रारंभ की थी। याचिकाकर्ता प्रदेश सरकार के सीधे कर्मचारी नहीं है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ट्राइबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन व अन्य शिक्षकों की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उनकी नियुक्ति शिक्षाकर्मी व संविदा शाला शिक्षक के रूप में हुई थी। इसके बाद उनका संविलियन अध्यापक कैडर में किया गया। सरकार ने साल 2018 में राज्य शैक्षणिक संवर्ग में उनका संविलियन कर लिया। इसके प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षण की तीन श्रेणी थी। राज्य शैक्षणिक संवर्ग में संविलियन होने के बाद वह राज्य सरकार के कर्मचारी हो गये। याचिका में कहा गया था कि उनकी नियुक्ति साल 2005 से पूर्व हुई थी,इसलिए वह ओल्ड पेंशन के अधिकारी है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत तथा जिला पंचायत के कर्मचारी को शासकीय कर्मचारी माना है।
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि उक्त आदेश के खिलाफ स्थगन आदेश जारी किया गया है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति मध्य प्रदेश पंचायत शिक्षाकर्मी (भर्ती एवं शर्तें) सेवा) नियम, 1997 के तहत जिला पंचायत या जनपद पंचायत द्वारा शिक्षण कार्य होती किया गया है। सरकार को अपनी व्यवस्था के तहत उनका संविलियन किया है। रिकॉर्ड में ऐसे कोई तथ्य नहीं है कि वह सरकारी कर्मचारी है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।