राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार का विजन पत्र होता है: खडगे

नयी दिल्ली 01 जुलाई (वार्ता) राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार का विजन पत्र होता है, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं है।

श्री खडगे ने सदन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने संबोधन में कहा कि पिछले 10 वर्षाें में सर्वव्यापी मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है और इस बार नारा दिया गया अबकी बार 400 पार। संविधान बदलने की बात की जाने लगी, तब इंडिया समूह ने संविधान बचाने की मुहिम शुरू की। संविधान रहेगा तभी लोकतंत्र भी रहेगा और चुनाव भी होगा। लोगों ने विशेषकर गरीब, युवा और महिलाओं ने यह महसूस किया कि लोकतंत्र और संविधान को बचाना है, तभी 400 पार नहीं 200 पार पर रोक दिया।

उन्होंने कहा कि संसद परिसर में विभिन्न स्थलों पर महापुरूषों की प्रतिमाएं लगायी गयी थी, जिन्हें अब एक ही कोने में लगा दिया गया है। इन प्रतिमाओं को संसद परिसर में लगाने की परंपरा रही है और उसके लिए समिति तय करती थी कि कौन सी प्रतिमा कहां लगेगी, इसलिए निवेदन है कि उन सभी प्रतिमाओं को पुरानी जगहों पर लगाया जाये।

इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें प्रेरणा स्थल के उद्घाटन का निमंत्रण दिया गया था और उन्होंने उसका अनावरण किया है। वहां सभी सदस्यों को जाकर देखना चाहिए। सभी प्रतिमाएं एक ही स्थल पर लगी हुयी है।

इस बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री किरेन रिजुजु ने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता ने गंभीर मुद्दा उठाया है। संसद भवन में किसी प्रतिमा को किसी कोने में नहीं स्थापित किया गया है, बल्कि यह संसद भवन गोलाकार है और इसमें कोई भी कोना पीछे नहीं है। सभी प्रतिमाओं को एक स्थल पर स्थापित किया गया है ताकि लोगों को उनको देखने में आसानी हो।

इस पर श्री खड़गे ने कहा कि इन प्रतिमाओं को उनके कार्यालय के सामने लगा दिया गया है। उनके घर में राष्ट्रपिता और डा. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा लगी हुई है और वह सुबह में उन्हें देखते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षाें में इस सरकार ने सिर्फ नारे ही दिये हैं। अच्छे दिन आयेंगे, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, बेटी पढाओ , बेटी बचाओ, सबका साथ सबका विकास और 400 पार। इस सरकार ने नारे के अलावा कुछ नहीं किया है। मणिपुर एक साल से जल रहा है, प्रधानमंत्री वहां देखने तक नहीं गये। गरीबों का सत्यानाश कर दिया गया है, इसलिए इस बार गरीब, युवा और महिलाओं ने रोक दिया।

श्री खडगे ने कहा कि आम चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मतदान हुए, जबकि शहरी क्षेत्रों में कम मतदान हुआ। शोषित, पीड़ित, गरीबों और महिलाओं ने लोकतंत्र को बचाने का बहुत बड़ा काम किया और इंडिया समूह का साथ दिया। अब भी सामाजिक न्याय की मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं। इस चुनाव का परिणाम है कि सत्ता दल के लोग संविधान को माथे लगा रहे हैं। इस सदन में ऐसे लाेग भी सदन में हैं, जिनको जय संविधान पर भी दिक्कत है। इस लिए संविधान को बचाने की मुहिम अभी जारी है। संविधान माथे पर लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके मूल्यों पर चलकर दिखाना होगा। बीते एक दशक में संसदीय परंपराओं को कमजोर किया गया है और विपक्ष को नजरअंदाज किया गया है।

उन्होंने कहा कि संसद में हमें अपनी बातें कहने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ा। सत्तापक्ष दल की सोच थी कि विपक्ष नहीं होना चाहिए। इसलिए 17वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद रिक्त रखा गया, जबकि संविधान में इसका प्रावधान है। वे लोग आज लाेकतंत्र की बात करते हैं। यह क्या लोकतांत्रिक तरीका है। यह संविधान का पालन है। यह संविधान और लोकतंत्र के विपरीत है। इसी सदन में प्रधानमंत्री ने छाती ठोकते हुये कहा था कि एक अकेला सब पर भारी। आज एक अकेले पर कितने लोग भारी है। चुनावी नतीजों ने दिखा दिया है कि संविधान और जनता सब पर भारी है।

 

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