विश्व में ऐसी वीरांगना दूसरी नहीं
कुलपति प्रो. आचार्य
रीवा नवभारत
जनजातीय अध्ययन केन्द्र, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा द्वारा वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरुं प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि विश्व इतिहास में बहुत सारी वीरांगनायें हुई हैं, परन्तु रानी दुर्गावती जैसी वीरांगना मातृशक्ति दूसरी नहीं है। आपने कहा कि विरांगना रानी दुर्गावती जैसी मातृशक्तियों की वीरता और शौर्य की कहानियाँ आज भी भारत में सुनी जाती है। इसलिए मारिया, एलिजाबेथ से भी ज्यादा श्रेयस्कर हैं। मुख्य वक्ता डॉ. धनाराय उइके जी ने उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए, गोड़वाना राज्य गढ़ा की महारानी दुर्गावती के शौर्य और सामरिक नीति का इतिहास परक तथ्य सामने रखे। आपने कहानियों जनश्रुतियों और लोकोक्तियों को आधार बनाकर गोंड़ महारानी दुर्गावती के जीवनवृत्त, कुशल शासन तथा युद्ध विजय को उद्घाटित किया। यह भी महत्वपूर्ण लक्ष्य उद्घाटित किए कि रानी दुर्गावती महोबा राठ के शालिवाहन की बेटी थी। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेन्द्र सिंह परिहार, कुलसचिव, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा ने कहा दुर्गावती की पुण्यतिथि पर पुष्पार्पित करते हुए बावन युद्धों में युद्ध कौशल से इक्वाबन बार समझ रखे आपने यह भी कहा कि आज का दिन चंदेलों की बेटी और गोड़ों की रानी के पराक्रम को स्मरण करने का दिन हैं।
स्वागत अभिवादन देते हुए डॉ. दिनेश कुशवाह जी ने कहा कि गोंड़ राज्यवंश की महारानी वीरांगना दुर्गावती मुगल आक्रांता आशफ खॉ से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। सूत्र संचालन करते हुए डॉ. लक्ष्मीकांत चंदेला जी ने वीरांगना दुर्गावती के व्यक्तित्व एवं पराक्रम को पटल के समक्ष रखे आपने यह भी बताया कि रानी दुर्गावती राज्य की रक्षा के साथ-साथ अपनी आन की रक्षा के लिए प्राण उत्सर्ग करने वाली क्षत्राणी थीं।
राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ. चन्द्रप्रकाश पटेल ने आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर विभाग के सदस्य डॉ. अनुराग मिश्र, डॉ. बारेलाल जैन, डॉ. निशा पटेल एवं समस्त छात्र-छात्राएँ एवं विश्वविद्यालय परिवार की गरिमामय उपस्थिति रही ।