गंगटोक, 19 जून (वार्ता) सिक्किम के लाचुंग में फंसे 1,225 यात्रियों को अब तक निकाल लिया गया है।
अभियान के तीसरे दिन बुधवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से लाचुंग पहुंचे कुल 1,225 पर्यटकों को मंगलवार शाम तक निकाल लिया गया है। वे 12 जून से बारिश और भूस्खलन के बाद ऊपरी क्षेत्र में फंस गए थे। यह अभियान भारतीय सेना, सीमा सड़क संगठन, सिक्किम पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन मोचन (एनडीआरएफ), डीएमजी, स्थानीय लोगों और पर्यटन उद्योग के अन्य हितधारकों द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया।
लाचुंग उत्तरी सिक्किम का एक सीमावर्ती गाँव है और यह समुद्र तल से 9,600 फीट या 2,900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह गर्मियों के दौरान मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण केंद्र है, क्योंकि यह क्षेत्र आमतौर पर सर्दियों के दौरान बर्फ से ढका रहता है। यह क्षेत्र पर्यटन उद्योग 90 के दशक की शुरुआत में पर्यटकों के लिए खोला गया था, तब से यह नकदी समृद्ध व्यवसाय है। लाचुंग गंगटोक से लगभग 115 किलोमीटर उत्तर में है और भारत की रक्षा के लिए एक बहुत ही रणनीतिक स्थान है। इसके दूसरी तरफ चीन है।
एडीएम की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार आज (मंगलवार) कुल 1,225 पर्यटक मंगन पहुंचे। परिवहन विभाग के अंतर्गत मोटर वाहन प्रभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए वाहनों की सहायता से पर्यटक कारों से उन स्थानों तक पहुंचने में सफल रहे, जहां तक पहुंचना संभव था। विज्ञप्ति में कहा गया है। बचाए गए पर्यटकों ने राज्य सरकार, प्रशासन, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि मौसम अनुकूल होने पर ही हवाई मार्ग से लोगों को निकाला जा सकेगा, जिसके लिए बागडोगरा में o6 एमआई हेलीकॉप्टर स्टैंडबाय पर हैं। जिला प्रशासन सतर्क है और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।
उल्लेखनीय है कि 12/13 जून से उत्तरी सिक्किम में फंसे पर्यटकों को निकालने का काम 17 जून को शुरू हुआ। त्रिशक्ति कोर के जवान नागरिक प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए बड़े पैमाने पर सहायता कर रहे हैं।
रक्षा विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि काफी संख्या में भूस्खलन के कारण पर्यटकों को पैदल और वाहनों से उन इलाकों में ले जाया जा रहा है, जहाँ कनेक्टिविटी मौजूद है। चुनौतीपूर्ण मौसम और भूभाग की परिस्थितियों में काम करते हुए भारतीय सेना के सिग्नलर्स ने 18 जून को बीएसएनएल और एयरटेल को मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल करने में मदद की। गत 12 जून से भारतीय सेना ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों को अपने रिश्तेदारों से जुड़ने में सुविधा प्रदान करने के लिए आधा दर्जन से अधिक टेलीफोन बूथ स्थापित किए हैं।
बयान में आगे कहा गया है कि चिकित्सा टीमों ने चिकित्सा सहायता बूथ स्थापित किए हैं और जरूरतमंद निवासियों और पर्यटकों को चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रहे हैं। अब तक 115 से अधिक लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान की गई है, जिसमें हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से पीड़ित लाचुंग के एक 24 वर्षीय व्यक्ति की जीवनरक्षक आपातकालीन संकट कॉल भी शामिल है। सभी जरूरतमंद लोगों को इस महत्वपूर्ण समय में राशन और अन्य रसद सहायता भी प्रदान की गई हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा, “भारतीय सेना के इंजीनियर संपर्क बहाल करने के लिए जनशक्ति और सामान उपलब्ध कराकर बीआरओ को सहायता प्रदान कर रहे हैं। भारतीय सेना सभी फंसे हुए पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है।”