वाधवानी फाउंडेशन, एआईसीटीई और अन्‍य संस्‍थानों ने किया समझौता

नयी दिल्‍ली, 11 जून, (वार्ता) वाधवानी फाउंडेशन ने शैक्षणिक इनोवेशन के व्‍यावसायीकरण में तेजी लाने के लिए वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क उत्‍कृष्‍टता केंद्र स्‍थापित करने के वास्ते एआईसीटीई, आईआईटी बॉम्‍बे, आईआईटी दिल्‍ली, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएससी बैंगलोर और सी-कैम्‍प के साथ समझौता किया है।

फाऊंडेशन के अध्यक्ष एवं सीईओ डॉ. अजय केला ने आज यह घोषणा करते हुए कहा कि इस साझेदारी का उद्देश्‍य भारतीय फैकल्टी़, छात्रों और शोधकर्ताओँ द्वारा किए जाने वाले शैक्षणिक और प्रयोगशाला अनुसंधान को वास्‍तविक दुनिया के अनुप्रयोगों में बदलना है, जिन्‍हें विभिन्‍न उद्योगों में बेचा, इस्‍तेमाल या क्रियान्वित किया जा सके, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक मूल्‍य का सृजन हो और समाज को लाभ पहुंचे। वर्तमान में, भारत में उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों में से एक प्रतिशत से भी कम शोध में लगे हुए हैं। शोध और प्रायोगिक विकास में भारत के सकल खर्च में इनकी हिस्‍सेदारी केवल 9 प्रतिशत है। इसके परिणामस्‍वरूप, भारतीय विश्‍वविद्यालय बाजार-संचालित इन्‍नोवेशन आउटपुट में पीछे हैं।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य घरेलू अनुसंधान और खोजों में तेजी लाना है, ताकि एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके जो उन्नत एआई, सिंथेटिक बायोलॉजी एवं बायोइंजीनियरिंग, हेल्थटेक, सेमीकंडक्टर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्पेसटेक आदि जैसी उभरती टेक्‍नोलॉजी से समावेशी और न्यायसंगत समाधान प्रदान करे, साथ ही उद्योग, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और सरकार के बीच सहयोग को भी बढ़ावा दे। अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के विज्ञान-संचालित विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप, यह पहल ऐसे इन्‍नोवेशन को बढ़ावा देगी, जो सामाजिक-आर्थिक मुद्दों से जुड़ी है। इन समाधानों का चयन विशेषज्ञों की एक राष्‍ट्रीय जूरी द्वारा किया जाएगा, उत्‍कृष्‍टता केंद्र उन्‍हें व्‍यावसायिक रूप से व्‍यवहार्य बनाने के लिए वित्‍तपोषण और विभिन्‍न प्रकार की सहायता प्रदान करेगा।

डॉ. केला ने कहा, “उन्‍नत एआई, सिंथेटिक बायोलॉजी, क्‍वांटम कम्‍प्‍यूटिंग, सेमीकंडक्‍टर्स, हेल्‍थटेक, और स्‍पेसटैक जैसी उभरती टेक्‍नोलॉजी में समावेशी और न्‍यायसंगत समाधानों के लिए अपार संभावनाएं छुपी हुई हैं। आईआईटी बॉम्‍बे के साथ हमारे पिछले सहयोग ने लगभग 100 प्रोजेक्‍ट को वित्‍तपोषित किया, जिनमें से 10 व्‍यावसायिक रूप से सफल रहे हैं। उत्‍कृष्‍टता केंद्र की स्‍थापना से ऐसे समाधानों को बढ़ावा मिलेगा और वास्‍तविक दुनिया के परिदृश्‍यों में उनके अनुप्रयोग को बढ़ावा मिलेगा- जिससे भारत वैज्ञानिक आर्थिक प्र‍गति के पथ पर अग्रसर होगा।”

चार आईआईटी, आईआईएससी बैंगलोर, और सी-कैम्‍प द्वारा स्‍थापित किए जाने वाले उत्‍कृष्‍टता केंद्रों के अलावा, इस पहल के तहत एआईसीटीई के 13 इंडोवेशन सेंटरों के अलावा देशभर में 100 से ज्‍यादा अगली श्रेणी के शैक्षणिक संस्‍थानों के साथ गठजोड़ किया गया है। प्रत्‍येक वाधवानी इन्‍नोवेशन नेटवर्क सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस को 10 लाख डॉलर तक का महत्‍वपूर्ण वार्षिक वित्‍त पोषण प्राप्‍त होगा, जो इन्‍नोवेशन को बढ़ावा देने के लिए फाउंडेशन की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। एआईसीटीई के साथ प्रतिवर्ष एक करोड़ डॉलर का अतिरिक्त संयुक्त निवेश देश के अगले 100 से अधिक संस्थानों की अनुसंधान और अनुवाद गतिविधियों को समर्थन देगा। प्रत्‍येक वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क उत्‍कृष्‍टता केंद्र सालाना 25 इंटरडिसप्‍लीनरी प्रोजेक्‍ट का समर्थन करेगा, ज‍बकि 13 एआईसीटीई इंडोवेशन केंद्र सामूहिक रूप से हर साल संबद्ध संस्थानों के 1000 से अधिक प्रोजेक्ट का समर्थन करेंगे।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई ) के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने कहा, “भारत आज दुनिया के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह बेहद जरूरी है कि हम अपने युवाओं के बीच इनोवेशन और लीडरशिप भी भावना पैदा करें। यह सहयोग देश के शीर्ष संस्थानों के बीच इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप को प्रोत्साहन प्रदान करता है, साथ ही युवा प्रतिभाओं को बेहतरीन आइडिया और लंबी सोच की भावना के साथ देश का नेतृत्व करने की प्रेरणा देता है।”

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