ऐतिहासिक धरोहर किला देखरेख के अभाव में हो रहा जीर्णशीर्ण

पेड पौधे कर रहे खोखला, विभागीय अधिकारियों का नहीं है ध्यान

 

नलखेड़ा, 29 जून. नगर में स्थिति अतिप्राचीन ऐतिहासिक धरोहर देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण होकर दुर्दशा का शिकार हो रहा है. किसी भी विभाग द्वारा अनदेखी के चलते अपनी पहचान खो चुका है. इस दिशा में शासन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. यह प्राचीन धरोहर खंड़हर के रूप में तब्दील हो रही है.जिम्मेदारों द्वारा इस ऐतिहासिक धरोहर की मरम्मत न कराकर इसे नया रूप नहीं दिए जाने से अब यह धरोहर नष्ट होने की कगार पर है, इसके चलते गत वर्ष वर्षाकाल में किले की कुछ वर्ष पहले दीवार का एक हिस्सा ढह चुका है, इस वर्षाकाल में भी दीवार का कुछ हिस्सा ढहने की आशंका है.

आजादी के पूर्व ग्वालियर रियासत का नगर सूबा हुआ करता था. यहां रियासत ने एक मजबूत और वृहद किले का निर्माण करवाया था. साथ ही एक सूबेदार की नियुक्ति भी की गई थी. लगभग चार बीघा के आसपास के क्षेत्र में चारों ओर ऊंची दीवारें और बड़े बड़े 6 बुर्ज के साथ परकोटे दरवाजे भी बनाए गए थे. जानकारों के मुताबिक इस किले का निर्माण ग्वालियर रियासत के समय मोतीवाले महाराज श्रीमंत माधव के कार्यकाल के दौरान हुआ था. उन्होंने यहां खांडेराव को सूबेदार बनाया था. जिनका निवास किले में ही था. उन्होंने ही किले के पास प्राचीन श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था. उस समय नगर में उन्होंने कई कुंडिया, मंदिर दरवाजों का निर्माण करवाया था. जिनमें गणेश दरवाजा, सती दरवाजा थे जो धीरे धीरे खत्म हो रहे गए हैं. इनके अवशेष आज भी इन स्थानों पर देखने को मिलते हैं. प्रदेश सरकार द्वारा पुरातत्व धरोहर एवं पर्यटन क्षेत्रों को सहेजने के लिए करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष खर्च किए जाते हैं. वहीं शासन द्वारा मां बगलामुखी की इस नगरी को धार्मिक व पर्यटन नगरी घोषित कर यहां करोड़ों रुपये के विकास कार्य करवाये गये हैं. लेकिन नगर में पुरातत्व महत्व की इस धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए शासन व प्रशासन स्तर पर अभी तक कोई सुध नहीं लिए जाने से यह किला खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.. यहां पर बड़ी संख्या में आसपास व दूरदराज से लोगों की आवाजाही बनी रहती है. इन स्थानों की सुरक्षा व देखरेख कर उन्हें अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने एवं पुरानी धरोहरों को सहजने के लिए सरकार व प्रशासन को तत्काल कदम उठाना चाहिए.

 

काफी लंबे समय से आज तक नहीं हुई मरम्मत

 

इस पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण धरोहर की सुध नहीं लिए जाने से यह किला खंडहर में तब्दील हो चुका है. साथ ही कुछ हिस्सों में कुछ लोगों द्वारा कब्जा जमाया जा रहा है. किला परिसर में पूर्व में तहसील कार्यालय, तहसीलदार आवासए पीडब्ल्यूडी कार्यालय, बालक छात्रावास सहित शासकीय अस्पताल लगते थे. किले के अंदर नगर पंचायत की जल प्रदाय संबंधी एक बड़ी पानी की टंकी भी थी. जब ये शासकीय कार्यालय किला परिसर में संचालित होते थे, तब इसके अंदर स्थित कुछ भवनों की मरम्मत ही कभी कभार करवाई जाती थी.परंतु जब से ये कार्यालय और विभागों के केंद्र बंद हुए हैं तब से आज तक इसकी सुध कोई नहीं ले रहा है. मरम्मत और देखरेख के आभाव में यह किला और इसके बुर्ज दीवार आदि कई स्थानों से जर्जर होकर गिरने की स्थिति में है. किले की दीवारों में से बड़े बड़े पेड निकालकर खड़े हो गए हैं जो दीवारों को और अधिक खोखला करते जा रहे हैं. किला परिसर में बने भवनों की लोहे की जालियां, गेट आदि शासकीय संपत्तियों को शरारती तत्व चुराकर ले जा चुके हैं. अब यहां कुछ विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों के निवास क्वार्टर ही बचे हैं.

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