रागायन के संगीत समारोह में खिले श्रद्धा और समर्पण के सुर

ग्वालियर: शहर की प्रतिष्ठित सांगीतिक संस्था रागायन द्वारा ग्वालियर घराने के जाने-माने गायनाचार्य पं. सीतारामशरण दास महाराज की पुण्य स्मृति एवं 1857 के स्वाधीनता संग्राम में बलिदान देने वाले हुतात्मा संतों की याद में सोमवार को यहां लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित सिद्धपीठ श्रीगंगादास की बड़ी शाला में आयोजित संगीत समारोह में श्रद्धा और समर्पण के सुर पूरी सादगी और तन्मयता से खिले। सुर-साज की इस महफिल में पं. हिमांशु विश्वरूप से लेकर युवा गायक श्री रमाकांत गायकवाड तक ने अपनी प्रस्तुतियों से गुरु पं. सीतारामशरण जी व बलिदानी संतों के श्री चरणों में सुरों का एक ऐसा गुलदस्ता अर्पित किया, जिसका हरेक फूल खुशबूदार था।

समारोह का शुभारंभ मुख्यअतिथि डॉ आलोक शर्मा डायरेक्टर आईआईटीटीएम , कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रागायन के अध्यक्ष एवं सिद्धपीठ श्रीगंगादास जी शाला के महंत पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर एवं गुरु पूजन कर किया। स्वस्ति वाचन आचार्य मंगलदास चौबे ने किया।कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु प्रशस्ति से हुआ। पं. महेशदत्त पांडेय द्वारा रचित एवं स्वरबद्ध प्रशस्ति- ‘जय गुरुदेव नमन’ को पं. सीतारामशरण जी के शिष्याओं श्रीमती साधना गोरे, श्रीमती वीणा जोशी, और श्रीमती स्मिता महाजनी, ने बड़े ही श्रद्धा व समर्पण भाव से प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में तबले पर अविनाश महाजनी एवं हारमोनियम पर नवनीत कौशल ने साथ दिया।
इसके बाद पहली प्रस्तुति में खैरागढ़ से पधारे पंडित हिमांशु विश्वरूप का सुमधुर वायलिन वादन हुआ । हिमांशु जी ने अपने वादन के लिए राग झिंझोटी का चयन किया। राग झिंझोटी बेहद मधुर राग है और उतने ही कौशल से हिमांशु जी ने इसमें रंग भरे। गायकी अंग से वादन करते हुए उन्होंने विलंबित और द्रुत बंदिशें तीनताल में पेश कीं। रागदारी की बारीकियों का निर्वहन करते हुए उन्होंने वादन में कई रंग भरे। आपके साथ तबले पर राम राजेश ने मणिकांचन संगत का प्रदर्शन किया। जबकि वायलिन पर साथ दिया आपके ही शिष्य जोगेंद्र सिंह ने।
अगली प्रस्तुति में मुंबई से पधारे जाने माने गायक रमाकांत गायकवाड का सुमधुर खयाल गायन हुआ। अपनी पीढ़ी के गायकों में रमाकांत जी का नाम अग्रणी है। उन्होंने गायन के लिए राग पूरिया कल्याण का चयन किया। इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश की। एकताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे – आज सो बना जबकि तीनताल में द्रुत बंदिश के बोल थे – बहुत दिन बीते। दोनों ही बंदिशों को रमाकांत जी ने बड़े रंजक अंदाज में पेश किया। राग की बढ़त में एक एक सुर खिल उठा। फिर तानों की प्रस्तुति भी अदभुत रही। राग कामोद से गायन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने तीन ताल में बंदिश पेश की – छांड दे रे मोरा आंचरा। आपने एक ठुमरी भी सुनाई और गायन का समापन भजन – ” धन्य भाग सेवा का अवसर पाया” से किया। आपके साथ हारमोनियम पर पंडित महेशदत्त पांडे और तबले पर मनीष करवड़े ने सुमधुर संगत का प्रदर्शन किया।

डॉ गोहदकर पंडित सीताराम शरण सम्मान से विभूषित:

कार्यक्रम में पंडित सीतारामशरण दास जी महाराज की स्मृति में दिया जाने वाला सम्मान ग्वालियर के वरिष्ठ संगीत साधक एवं जाने माने गायक डॉ प्रभाकर लक्ष्मण गोहदकर को प्रदान किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आई आई टी टी एम के डायरेक्टर डॉ आलोक शर्मा , रागायन के अध्यक्ष स्वामी रामसेवकदास जी महाराज ने शॉल श्रीफल एवम प्रशस्ति पत्र भेंट कर उन्हें सम्मान से अलंकृत किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति कर्मी अशोक आनंद ने किया। उन्हें रागायन परिवार की ओर से शॉल श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला ,वरिष्ठ समाजसेवी रामकुमार कटारे, रागायन के उपाध्यक्ष अनंत महाजनी, पंडित महेशदत्त पांडे, संजय देवले, ब्रह्मदत्त दुबे , वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल, शरद बक्षी सहित बड़ी संख्या में संगीत रसिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति कर्मी अशोक आनंद ने किया।

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