सियासत
इंदौर में शंकर लालवानी ने 11 लाख 70 हजार से अधिक मतों से जीत प्राप्त की है. यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे तोड़ना किसी के लिए भी मुश्किल होगा. बेशक उनके रिकॉर्ड का कारण यह है कि कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं था, लेकिन शंकर लालवानी के रिकॉर्ड के रंग को नोटा को मिले 2 लाख मतों ने लगता है फीका कर दिया है. अब जब शंकर लालवानी के रिकॉर्ड की बात होगी तो नोटा के रिकॉर्ड की भी बात की जाएगी. अभी तक नोट का रिकॉर्ड 51000 मतों का था. जाहिर है इस तरह से इंदौर में राष्ट्रीय फलक पर अपना अलग तरीके से नाम दर्ज कराया है.
दरअसल, 2019 के चुनाव में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने वाले शंकर लालवानी इस बार भी बड़ा रिकार्ड बनाने जा रहे हैं. देश की सभी 543 सीटों में लालवानी सबसे ज्यादा वोट लाकर सबसे बड़ी जीत हासिल करने की ओर तेजी से आगे बढ़े है। इस परिणाम से चार नए रिकार्ड बनने जा रहे है.पिछले चुनाव में लालवानी को कुल 1068569 वोट मिले थे. इस बार शंकर लालवानी पहले ऐसे प्रत्याशी बन गए हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा वोट प्राप्त किये. शंकर लालवानी के रिकार्ड के अलावा दो और नए रिकार्ड बनने जा रहे है. बसपा के संजय सोलंकी ने 50023 वोट प्राप्त कर लिए हैं.
वे इंदौर के सभी निर्दलीय प्रत्याशियों में सबसे ऊपर चल रहे हैं. यह पहला अवसर है कि मालवा अंचल में किसी भी स्तर के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को आज तक इतने वोट नहीं मिले है. वैसे भी मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी दूसरी पार्टी जैसे बसपा, सपा का कोई वजूद नहीं है. इसके बावजूद भी बसपा के प्रत्याशी संजय सोलंकी ने 50000 वोट प्राप्त कर पार्टी का एक रिकार्ड बनाया है.दूसरी तरफ नोटा भी दो लाख के ऊपर पार हो गया है. पूरे देश मे यह अनोखा कीर्तिमान है. नोटा लागू होने के बाद पूरे देश मे किसी भी चुनाव मे यह पहला अवसर है जब उसे इतनी बड़ी संख्या में मत मिले हैं. इससे पहले नोटा को सर्वाधिक मत 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार के गोपालगंज मे 51660 वोट मिले थे. स्वच्छता में नंबर वन शहर इंदौर ने नोटा मे भी पूरे देश में नंबर वन हासिल कर लिया है.