साक्षी केसरवानी
भोपाल।तस्वीरें पुरानी हो जाती हैं लेकिन यादें हमेशा ताजा रहती हैं. कुछ इसी अंदाज में पिछले 70 सालों से पुरानी एंटीक कैसिट, म्युजिक प्लेयर, स्पूल रिकार्डर, वीसीआर सहित कई फिल्म साउंड सिस्टम को अपनी तिजोरी में जमाये इफ्तार अयूब आज भी अपनी आवाज के जादूगरी से सभी का दिल जीत लेते हैं. विलक्षण प्रतिभा के धनी मशहूर एंकर, रेडियो अनाउंसर, संगीतकार और एडवोकेट के रूप में काम कर चुके अयुब आज भी प्रदेश के कई बड़े कार्यक्रमों में अपनी आवाज से लोगों को अपना कायल बना लेते हैं. इंटरनेट पर करीब 1300 से अधिक एलबम हैं जिनमें इफ्तार अयुब ने अपनी शानदार आवाज में एंकर की भूमिका निभाई है. कई फिल्मी सितारों के गानों सहित रास्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय संगीतकार, गजल गायकों के साथ काम कर चुके इफ्तार अयुब की जीवन यात्रा संघर्ष से भरी और दिलचस्प है. 70 से 90 के दशक में आकशवाणी में आपके पत्र आपके उत्तर कार्यक्रम में काम कर चुके, मध्यप्रदेश उर्दू एकेडमी के गजल कार्यक्रम की शान और वर्तमान में आईसीसीआर के अनाउंसर इफ़्तार अयुब न केवल अपनी मधुर आवाज से लोगों का अपना कायल बनाते हैं बल्कि अपने सरल स्वभाव से जल्द ही लोगों से जुड़ जाते हैं.अपने संग्रह में इन्होने पाई से लेकर सोनी तक के एंटीक मॉडल संजोये हैं. इनमें सैमसंग, फिलिप्स भी हैं. इनके इसी सफर के कुछ हिस्से नवभारत प्रतिनिधि से इन्होंने साझा किये।
31 रूपये 60 पैसे से शुरू किया था सफर
सन 1975 का वो दौरा था जब मेरी जेब में बस 31 रुपये 60 पैसे थे. तब मैंने ये थान लिया था कि यहां नहीं रुकना है अभी बहुत दूर जाना है. और वो दूरी तय करते हुए आज मैं यहां तक आ गया. इस सफर में गजल गायक जगदीश सिंह, अशलम शाबरी, अनूप जलोटा, बेगम अख्तर, हाजी गुलाम फरीद, और गुलजार साहब के साथ कई एलबम में काम किया है. साथ ही इस सफर में जब भी अवसर मिला तो अनगिनत लोगों को एंकरिंग की कला में पारंगत किया। वो आज देश के पटल पर बहुत ही उम्दा काम कर रहे हैं. आज भी पूंजी जेब में नहीं है बस ये कलेक्शन है जो मेरी जीवन भर की कमाई का हिस्सा हैं. समय के साथ उम्र के पड़ाव में हर साधारण व्यक्ति की तरह एडवोकेट की पढ़ाई पूरी की. फिर वकालत की साथ में अपने शौख को हमेशा जिंदा दिली से जीने की कोशिश की है.
500 से अधिक एंटीक म्यूजिक सिस्टम का है संग्रह
इस संग्रहालय में 500 से अधिक स्पूल रिकॉर्डर, 35 से ज्यादा वीसीआर, एंटीक भोपू वाला रेडिओ, 15 हजार से ज्यादा ग्रामोफोन हैं। जो कि चलती हालत में हैं और 1 इंच से 15 इंच तक के स्पीकर का संग्रह भी हैं. यह सब आज से 70 साल पहले के समय से लेकर अब तक के हैं. इनमें से कई म्यूजिक सिस्टम हैं जिनका इस्तेमाल 60 से 70 के दशक में फिल्मों में रिकार्डिंग के लिए किया जाता था. इसके आलावा 70 साल पुराने प्रोजेक्टर भी मैंने इकट्ठा कर रखे हैं. पुरानी एंटीक पीस फिल्म साउंड सिस्टम का संग्रह करना शुरू से ही मेरा शौख रहा है.
8 साल क उम्र में पहली बार पकड़ा माईक
मुझे याद है जब मैं सेंट फ्रांसिस में पढ़ता था तो पहली बार मुझे स्टेज पर बोलने के लिए माईक दिया गया था. उस वक्त मेरी उम्र तकरीबन 8 साल की रही होगी। जब मैंने पहली बार माईक पकड़ा और तब से इस सफर में आज भी चल रहा हूं. 55 साल से ज्यादा का तजुर्बा अब हो गया है लेकिन फिर भी सीखने सिखाने में कमी नहीं करता।
एंटीक पीस दिखते ही घर ले आता हूं
बचपन से ही शौख रहा है संगीत की दुनिया से जुड़ने और एक अलग पहचान बनाने का, एक अनाउंसर के रूप में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में एंकरिंग का अवसर मिलता रहता है. आज भी कही जाता हूं और कोई भी एंटीक म्यूजिक प्लेयर सिस्टम दिख जाता है, तो बस उसे घर ले आता हूं. गुलशन ए मौशिकी मेरे इस संग्रहालय का नाम मैंने दे रखा है. इसमें संजोकर रखता हूं. ये सभी सिस्टम, रेडियो, कैसिट, रिकॉर्डर सब मौजूदा समय में चलने की स्थिति में है. इनको इस्तेमाल करके इनसे गाने सुने जा सकते हैं इनसे रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है.
