देश में चुनाव तभी सही और निष्पक्ष कहे जाते हैं, जब मतदाता सूची साफ-सुथरी और सही हो. इसे बेहतर बनाने के लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव से पहले मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण शुरू किया है. यह कदम लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य है. इस प्रक्रिया का मकसद है नए 18 साल या उससे अधिक उम्र के युवाओं को वोट डालने का मौका देना और साथ ही गलत, मृत या दोहराए गए नाम हटाकर चुनाव को सही बनाना. जब मतदाता सूची पूरी तरह सही होगी, तभी “एक व्यक्ति, एक वोट” का नारा असली मायने रखेगा.इस बार यह अभियान अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलेगा. 28 अक्टूबर से शुरू होकर यह काम 7 फरवरी 2026 तक जारी रहेगा. 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक बूथ अधिकारी हर घर जाकर मतदाताओं की जानकारी इक_ा करेंगे. यह केवल आंकड़ों का काम नहीं, देशवासियों का विश्वास जीतने का भी अभियान है.
युवा वर्ग के लिए यह खास अवसर है क्योंकि पहली बार मतदान करने वाले युवा लोकतंत्र में अपनी ताकत दिखाएंगे और देश के विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे. राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी है. सभी दलों को चाहिए कि वे इस अभियान का सहयोग करें और इसे राजनीति का साधन न बनाएं. यह समय आलोचना का नहीं, मिलकर काम करने का है. मतदान सूची में गलतियां लोकतंत्र के लिए खतरा हैं, इसलिए सभी को मिलकर सही जानकारी देनी चाहिए और लोगों को मतदाता बनाए रखने में मदद करनी चाहिए. असम को इस बार इस प्रक्रिया से अलग रखा गया है क्योंकि वहां के हालात अलग हैं. यह दर्शाता है कि आयोग ने हर राज्य की खास स्थिति को समझकर फैसला लिया है.मतदाता सूची का यह पुनरीक्षण सिर्फ एक प्रशासनिक काम नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र को मजबूत करने का एक बड़ा कदम है. हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपना नाम सूची में सही तरीके से दर्ज कराए और अपने वोट का अधिकार इस्तेमाल करे. निर्वाचन आयोग ने रास्ता दिखाया है, अब सभी राजनीतिक दल, संगठनों और जनता को मिलकर इसे एक जन आंदोलन बनाना होगा. दरअसल,जब मतदाता सूची सही होगी, तभी हमारा लोकतंत्र सशक्त और हमारा देश प्रगति की ओर बढ़ेगा. यह अवसर हर नागरिक को अपनाना चाहिए और लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना योगदान देना चाहिए. क्योंकि मजबूत मतदाता सूची ही मजबूत भारत की पहचान है.बहरहाल, निर्वाचन आयोग की पत्रकार वार्ता के बाद कतिपय राजनीतिक दलों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया है. इस संदर्भ में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को मतदाता गहन परीक्षण के लिए हरी झंडी दी है. दरअसल,निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसे मतदाता सूची को दुरस्त करने का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है. इसलिए राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए ना कि इस पर राजनीति होनी चाहिए.
