दिन में उमस भरी गर्मी और रात में पड़ रही गुलाबी ठंड

रीवा: दीपावली के बाद से उम्मीद थी कि कड़ाके की ठण्ड शुरू हो जायेगी, लेकिन लगातार आसमान में बादल बने हुए है. चौथे दिन भी बादल छाये रहे और दिन का अधिकतम तापमान 31.2 डिग्री पहुंच गया. जबकि रात का न्यूनतम तापमान 20 डिग्री रहा. दिन में बादलो के चलते उमस भरी गर्मी बनी हुई है और शाम ढ़लने के बाद गुलाबी ठंड बढ़ जाती है.दरअसल बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आ रही हवाओ का असर जिले में बादलो के रूप में पड़ रहा है. चार दिन से आसमान में बादल बने हुए है और दिन का अधिकतम तापमान कम नही हो रहा है.

शुक्रवार को जहा दिन का अधिकतम तापमान 31.8 डिग्री रहा, वही शनिवार को हल्का तापमान कम हुआ. दिन भर बादल छाये रहे और सूर्यदेव के दर्शन नही हुए. मौसम विभाग की माने तो अभी दो चार दिन इसी तरह मौसम रहेगा. जैसे ही आसमान साफ होगा ठंड का असर और बढ़ेगा. आद्रता 91 प्रतिशत रही सुबह की और शाम की र्आद्रता 78 प्रतिशत रही. बादलो के चलते उमस भरी गर्मी से लोग बेहाल है, इसका असर लोगो के कामकाज पर भी पड़ रहा है. रात के तापमान में भले ही गिरावट आ गई है लेकिन दिन का तापमान कम नही हो रहा है.

इस समय किसानो ने रवी की बोनी भी शुरू कर दी है. धान की कटाई भी चल रही है मौसम के बदले मिजाज को लेकर किसान परेशान है. अगर बारिश हुई तो फसलो को नुकसान होगा. दलहनी फसलो की बोनी इस समय किसान कर रहे है. दिन और रात के तापमान में जिस तरह से अंतर है उसके कारण बीमारी भी बढ़ रही है. उम्मीद है कि 1 नवम्बर से कड़ाके की ठंड शुरू हो जायेगी. हालाकि बादलो के हटने के बाद ही ठंड असर दिखाना शुरू कर देगी. गर्म पकड़ो की दुकाने भी सजकर तैयार हो गई है.
मौसमी बीमारी से अस्पताल में बढ़े मरीज
इस समय जिस तरह से मौसम है उसका असर सीधे मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. दिन में गर्मी और रात में ठंड स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है. मौसमी बीमारी के चलते अस्पताल में मरीजो की संख्या तेजी से बढ़ी है. संजय गांधी अस्पताल के आउटडोर में प्रतिदिन लगभग 1800 मरीज पहुंच रहे है और इसी तरह जिला चिकित्सालय एवं सुपर अस्पताल में भी अन्य दिनो के अपेक्षा इस समय मरीजो की संख्या ज्यादा है. चिकित्सको का कहना है कि मौसम में बदलाव हुआ है, जिसकी वजह से बुखार, वायरल, सर्दी-जुखाम आदि बीमारी से पीडि़त मरीज अस्पताल पहुंच रहे है. जैसे ही मौसम ठंडा होगा बीमारी से राहत मिलेगी. इस समय हालत यह है कि अस्पताल में बेड़ तक खाली नही है

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