एडमिरल त्रिपाठी ने ‘टीम नेवी’ के कर्तव्य के प्रति समर्पण, निरंतर प्रतिबद्धता और पेशेवर कौशल की सराहना की है

नयी दिल्ली 23 अक्टूबर (वार्ता) नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने संचालन उत्कृष्टता और युद्ध तत्परता सुनिश्चित करने में ‘टीम नेवी’ के कर्तव्य के प्रति समर्पण, निरंतर प्रतिबद्धता और पेशेवर कौशल की सराहना की है।
एडमिरल त्रिपाठी ने नौसेना के शीर्ष कमांडरों के बुधवार को शुरू हुए द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नौसेना की उत्कृष्ट भूमिका की सराहना की और इसे राष्ट्र के लिए गौरव का स्रोत बताया।
मौजूदा भू-रणनीतिक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए नौसेना प्रमुख ने क्षेत्र में बेहतर तैयारी, जरूरत के अनुरूप ढलने और सक्रिय भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा में नौसेना की भूमिका का उल्लेख किया।
एडमिरल त्रिपाठी ने नौसेना की ‘युद्ध के लिए तैयार बल’ के रूप में स्थिति की पुष्टि करते हुए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कई सफल संचालन तैनाती और संयुक्त मिशनों के निर्बाध निष्पादन की सराहना की। उन्होंने महत्वपूर्ण क्षमता वृद्धि और खरीद का उल्लेख किया जिसने नौसेना की संचालन क्षमता को और मजबूत किया है।
हिंद महासागर क्षेत्र में एक ‘विश्वसनीय बल’ और पसंदीदा सुरक्षा साझेदार के रूप में नौसेना की भूमिका पर ज़ोर देते हुए नौसेना प्रमुख ने महासागर के व्यापक दृष्टिकोण के अंतर्गत आईओएस सागर की तैनाती और एआईकेईएमई के संचालन जैसी पहलों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने एक ‘संगठित बल’ के रूप में कार्यबल संसाधन, बेहतर आवास, बेहतर शारीरिक फिटनेस और कर्मियों के समग्र कल्याण की दिशा में चल रहे प्रयासों की सराहना की।
नौसेना प्रमुख ने प्रौद्योगिकी में निरंतर प्रगति, आईडीईएक्स पहलों की सफलता और 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर नौसेना की दिशा में निरंतर प्रयास पर भी ज़ोर दिया।
एडमिरल त्रिपाठी ने सात प्रमुख क्षेत्रों युद्ध और युद्ध दक्षता, बल स्तर और क्षमता विकास, बेड़े का रखरखाव और संचालन रसद, नई प्रौद्योगिकी का नवाचार और एकीकरण, संतुलित कार्यबल विकास, संचालन तथा संगठनात्मक चपलता और राष्ट्रीय एजेंसियों तथा हितधारकों के साथ तालमेल पर ध्यान केंद्रित करने की बात भी दोहराई।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने सम्मेलन के पहले दिन अपने संबोधन में हिंद महासागर क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की और तालमेल, संयुक्त योजना तथा अभियानों के एकीकृत क्रियान्वयन के महत्व पर बल दिया।
उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए सभी सेनाओं में संयुक्त हवाई अभियानों, अंतर-संचालन और निर्बाध एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

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