ग्वालियर। पश्चिम अफ्रीका के एक समूह ने आज आदर्श गौशाला का दौरा किया और भारत में गायों के महत्व को समझा। इस भ्रमण का आयोजन भारत और पश्चिम अफ्रीका के बीच सांस्कृतिक और कृषि संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया था।
आदर्श गौशाला, जो पर्यावरण संरक्षण और गायों के संरक्षण के लिए आदर्श मानी जाती है ने पश्चिम अफ्रीकी समूह का स्वागत किया। इस गौशाला में पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से गायों की देखभाल की जाती है और जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जाता है।
गौशाला के व्यवस्थापक महाराज ऋषभ देवानंद ने बताया कि भारत ऋषि-संस्कृति वाला देश है। हमारे लिए प्रसन्नता की बात है कि पश्चिम अफ्रीका के हमारे साथी भारत में ग्राम-राम के महत्व को समझने के लिए यहाँ आए हैं। उन्होंने गौ आधारित अर्थव्यवस्था, गोवर्धन योजना और महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा रोजगार को समझा। विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया, जैसे कि गायों को चारा देना, गोबर गैस से सामूहिक रसोई चलाना, जैविक खाद बनाना, और गौशाला के दैनिक कार्यों को समझना।”
यह दौरा भारत और पश्चिम अफ्रीका के बीच सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस प्रकार के सांस्कृतिक और शैक्षिक भ्रमण भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है, जिससे दोनों क्षेत्रों के लोगों को एक-दूसरे की कृषि पद्धतियों और संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
*चेंबर अध्यक्ष ने कहा – नए द्वार खुले*
चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल अपने साथियों के साथ आदर्श गौशाला में चेंबर स्थापना दिवस के उपलक्ष में आयोजित होने जा रहे पौधों रोपण कार्यक्रम के संबंध में तैयारी का जायजा लेने के लिए पहुंचे। विदेशी मेहमानों को देखकर चेंबर अध्यक्ष भी अपनी भावनाएं व्यक्त करने से नहीं रोक पाए। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीण परिवेश को समझने के लिए विदेशी पर्यटक जिस तरह से भारत आ रहे हैं खासकर ग्वालियर में आज आए हुए मेहमानों को देखकर ऐसा लग रहा है कि इससे रोजगार और संस्कृति के आदान-प्रदान के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
*गौशाला का भोजन किया, सेल्फ सर्विस कर धोए बर्तन*
गौशाला करने आए अफ्रीकी देशों के सदस्यों ने गौशाला में एक साथ बैठकर गौशाला के स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया भोजन के बाद सभी सदस्यों ने सेल्फ सर्विस कर अपने झूठे बर्तन स्वयं धोए।
*महाराज ने पहनाई सबको गोबर की माला*
अफ्रीकी देशों से आए सदस्य मुस्लिम समुदाय के थे लेकिन गौशाला की व्यवस्था देख रहे ऋषभ देवानंद महाराज ने जब उन्हें गाय के गोबर की बनी हुई माला पहनाई तो सभी सदस्यों ने खुशी-खुशी माला पहनी। माला पहनकर सभी महिला पुरुष सदस्य काफी खुश नजर आ रहे थे।
इस अवसर पर गौशाला ने पश्चिम अफ्रीकी समूह को स्मृति चिन्ह के रूप में एक गाय की मूर्ति भेंट की, जो भारत में गायों के प्रति आदर और सम्मान का प्रतीक है। भारतीय सात्विक भोजन कर और “जय श्री राम” के उद्घोष के साथ उन्होंने विदा ली।