सुकमा, 20 जुलाई (वार्ता) छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में लगतार बारिश से जन जीवन बुरीतरह प्रभावित है। सुकमा जिले को 100 से ज्यादा गावों को जोड़ने वाली सड़क दोरनापाल से जगरगुड़ा मार्ग कई जगहों पर टूटने से इन गांवों का सम्पर्क टूट चुका है।
कई जगहों पर आने वाले लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर गाड़िया फंस जा रही है।
वहीं कांकेरलंका के पास बन रहे पुल का डायवर्सन बह गया लोगों की मुसीबत बड़ा दी है।
शासन-प्रशासन की लापरवाही या सुस्ती से आदिवासी इलाके में बारिश कई बार आफत बनकर बरसती है। हर साल बारिश आती है, रास्ता बहा ले जाती है हम फिर से फंस जाते हैं। ये कहना है कांकेरलंका क्षेत्र के एक बुजुर्ग ग्रामीण का जिले में जारी मूसलाधार बारिश के चलते निर्माणाधीन पुल का अस्थायी डायवर्सन बह गया है। यह डायवर्सन जिला मुख्यालय से कई गांवों को जोड़ता है।
एक पुल है जिसका निर्माण पूरा ही नहीं होता। वहीं एक रोड है जो हर साल बह जाता है। पुल का निर्माण वर्षों से अधूरा पड़ा है। निर्माण एजेंसियां जिन्हें काम को पूरा कर स्थिति को बेहतर करना चाहिए उनकी सुस्त कार्यप्रणाली ने हालत और बदतर कर दिए हैं।
इस मार्ग से गुजरने वाले अधिकांश लोग आदिवासी समुदाय से हैं। इनकी आजीविका खेती, वनोपज और दैनिक मज़दूरी पर निर्भर है। डायवर्सन बह जाने से आम लोग तो छोड़िए बीमारों का भी अस्पताल पहुंचना मुश्किल हो गया है। गर्भवती महिलाओं की स्थिति और भी चिंताजनक है। वहीं, स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्रों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। छात्रों को या तो लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है या फिर स्कूल ही नहीं पहुंच पा रहे।
प्रशासन और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण यह समस्या बार-बार सामने आती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता।
