इंदौर: केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा कई योजानाओं में बदलाव किया गया जिसका सीधा असर हितग्राही पर पड़ने लगता है. एक बार फिर वृद्धा पेंशन का मामला सामने आया है, जहां एक नहीं बल्कि सैकड़ों हितग्राही अपनी पेंशन को लेकर परेशान है. शहर का सबसे पुराना मिल क्षेत्र है, जहां शुरू से ही मज़दूर वर्ग निवास करता आ रहा है. इस क्षेत्र में आधे से ज़्यादा हिस्सा मध्य एवं निम्न वर्ग में आता है. यहां बुज़ुर्गों की संख्या भी अधिक है.
पूर्व में जब मिलों को दिवालिया घोषित किया था तब भी कई दंपतियों को गहरा सदमा पहुंचा था. अब भी यही हाल दिखाई दिया है. क्षेत्र के मालवा मिल में गोमा की फेल के पीपल चौक पहुंच कर कई बुजुर्ग दंपति मिले हैं, जिन्हें अपनी बंद हुई पेंशन को दोबारा शरू करवाने के लिए झोन एवं नगर निगम चक्कर लगाना पड़ रहे है. फिर भी इन्हें योजना का लाभ दोबारा मिलना शुरू नहीं हुआ. बताया जाता है कि बैंक केवाईसी और मौलिक दस्तावेजों की पूर्ति करने के लिए पेंशन रूक जाती है लेकिन हितग्राहियों द्वारा पूरे प्रमाण कर केवाईसी भी कर दी गई लेकिन कुछ हासिल नहीं हो सका.
इनका कहना है
पिछले आठ वर्ष से पेंशन का लाभ मिल रहा था जो बंद हो गई है. चार महीने में दो बार पूरे कागज जमा कर दिए केवाईसी भी हो गई. अब बार-बार चक्कर लगवाते हैं. हर बार आश्वासन देते है.
– तारा चंद
बैंक में कागज जमा किए. मेरे सामने बैंक वालो ने डायरी में इंट्री की थी लेकिन अभी तक खाते में पेंशन के पैसे नहीं आए. क्षेत्र में मुझ जैसे एक नहीं ढेरों बुज़ुर्ग हैं जो परेशान हो रहे हंै.
– अर्जुन सिंह बड़ोलिया
पांच साल से पेंशन मिल रही थी दो महीनें हो गए बंद कर दी. मात्र छः सौ रूपय मिलते थे. हालांकि महंगाई के समय में छः सौ रूपये कहां लगते हैं. सरकार को पेंशन के पैसे बढ़ाना चाहिए.
– तुलसी राम कोरी
पानी की टंकी पर झोन पर बैंक में पेंशन दोबारा शुरू करवाने के लिए पिछले डेढ़ वर्ष से चक्कर लगा-लगा कर चप्पलें छिल गई. पचास बार हो आए वहां पर एक अधिकारी दूसरे के पास पहुंचाते है.
– कृष्णा बाई
