नदी से नाले में परिवर्तित हिरन नदी का संकट में अस्तित्व.

 हिरन नदी को अतिक्रमण मुक्त करा सूखा नदी जैसे साफ-सफाई , चौड़ीकरण के साथ मुख्य मार्ग से एप्रोच सड़क निर्माण एवं सौंदर्यीकरण के लिए प्रशासन – जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों के संयुक्त प्रयास की दरकार

सीधी : शहर में पानी से समृद्ध रही हिरन नदी बढ़ते अतिक्रमण और प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते नाले में तब्दील हो चुकी है।नदी से नाले में परिवर्तित हिरन नदी के अस्तित्व पर ही अब संकट मंडरा रहा है। ऐसे में हिरन नदी को अतिक्रमण मुक्त करा सूखा नदी जैसे साफ-सफाई , चौड़ीकरण के साथ मुख्य मार्ग से एप्रोच सड़क निर्माण एवं सौंदर्यीकरण के लिए प्रशासन – जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों के संयुक्त प्रयास की दरकार है।

यहां बताते चलें की हिरन नदी को थनहवा टोला से लेकर चकदही क्षेत्र तक चकदही नदी के नाम से भी जाना जाता था। उसके आगे इसे हिरन नदी के नाम से लोग जानते थे। अब इस नदी की पहचान नाले के रूप में है। शहर के बुजुर्गों का कहना है कि पांच दशक पूर्व तक हिरन नदी भारी जल भराव के साथ प्रवाहित होती थी और इसकी चौड़ाई भी 200 फिट से ज्यादा थी। अस्सी के दशक तक नदी में नहाने के कई घाट थे। यहां के घाटों में महिला -पुरूष, बच्चे नियमित रूप से स्नान और कपड़ा धोने के लिए जाते थे। थनहवा टोला से लेकर सिंगरौली रोड में हिरन नदी पर बनी पुल तक के बीच जगह -जगह बनें घाटों में सुबह से लेकर शाम तक लोगों का जमघट लगा रहता था। थनहवा टोला, जामा मस्जिद के पीछे और चकदही मार्ग में बड़े घाट थे। यहां आधे बाजार क्षेत्र के रहवासी स्नान के लिए आते थे।

वर्ष 1975 के करीब शहर के बाजार क्षेत्र और उससे लगे मोहल्लों में गोरियरा बांध से नल जल सप्लाई की व्यवस्था शुरू हुई। जिसके बाद लोगों का निस्तार हिरन नदी में तेजी से कम होने लगा। अस्सी के आधे दशक के बाद हिरन नदी के दोनों किनारों में स्थित भूमि में अवैध कब्जा करने की होड़ मच गयी। साथ ही झोपड़ पट्टी बनाकर कुछ लोगों ने नजूल एवं राजस्व विभाग से सांठगांठ बनाकर पट्टा भी हासिल कर लिया। बाद में विभागीय अमले का संरक्षण भी मिलना शुरू हो गया। हिरन नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण बढ़ने पर इसको तेजी से पाटकर ज्यादा भूमि की व्यवस्था बनाना शुरु कर दिया गया। कुछ सालों से तो इसी अतिक्रमण के चलते यह बड़ी नदी नाले में तब्दील होकर अपना बजूद बचाने के लिए मदद मिलने का इंतजार कर रही है।

हिरन नदी को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराना बड़ी चुनौती

सीधी शहर के सीधी – सिंगरौली मुख्य मार्ग से होकर गुजरने वाली दशकों पुरानी हिरन नदी अतिक्रमण के कारण इतनी सिकुड़ गई की नाले में तब्दील होकर आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। अतिक्रमण के कारण नदी से नाले में परिवर्तित हिरन नदी को पुनः अस्तित्व में लाने के लिए वर्षों के अतिक्रमण से मुक्त कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। हिरन नदी को जब तक अतिक्रमण से मुक्त नही कराया जाता तब तक हिरन नदी का चौड़ीकरण के साथ सौंदर्यीकरण एवं एप्रोच सड़क के निर्माण की कोई भी योजना सकार नही हो सकती है।

समाजसेवियों को करनी पड़ेगी सार्थक पहल

शहर की दशकों पुरानी हिरन नदी को नाले से पुनः नदी के रूप का अस्तित्व प्रदान करने के लिए सूखा नदी के जीर्णोद्धार की तरह समाजसेवियों के सार्थक पहले की जरूरत है । हिरन नाले को नदी का स्वरूप प्रदान करने के लिए समाजसेवियों को आगे आकर इसे जन अभियान बनाना पड़ेगा।

इनका कहना है-

शहर के हिरन नदी में अतिक्रमण की जानकारी संज्ञान में आने के बाद राजस्व टीम भेजकर जांच कराई जाएगी। यदि अतिक्रमण मिलता है तो कार्रवाई की जायेगी।

प्रिया पाठक, एसडीएम गोपद बनास, सीधी

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