छुट्टियों पर जाते समय पौधों का ख्याल रखें

छुट्टियों पर जाते समय पौधों का ख्याल रखें
अगर आप भी बागवानी प्रेमी हैं, तो गर्मियों के मौसम में इस चुनौती का सामना अवश्य किया होगा। छुट्टियों की योजना बनाते समय अक्सर मन में यह चिंता उभरती है कि पौधों का क्या होगा? हो सकता है आपने अपनी छुट्टियाँ छोटी कर दी हों, किसी परिवारजन को साथ न ले जाने का निर्णय लिया हो, या खुद ही यात्रा से वंचित रह गए हों, सिर्फ इसलिए कि आपके पौधे सुरक्षित रहें। और यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि एक बागवान जानता है कि पौधों को बड़ा करने, उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में कितनी मेहनत लगती है। यह सिर्फ शौक नहीं, एक जुड़ाव होता है, और एक पर्यावरण प्रेमी की यही पहचान होती है।

लेकिन जरूरी नहीं कि परिवार के सभी सदस्य इस भावना को उतनी ही गहराई से समझें। कई बार ऐसे निर्णयों को मना कर पाना भी संभव नहीं होता। तो ऐसे में प्रश्न उठता है, यदि आप पूरे परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टियों में घर से बाहर जा रहे हैं, तो अपने पौधों को पानी देने की व्यवस्था कैसे करें?

गर्मियों में जब तापमान तेज होता है, उस समय पौधों को नियमित पानी, छांव और थोड़ी देखभाल की जरूरत होती है। अगर आप 2-3 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं, तो कुछ आसान लेकिन असरदार उपायों से आप अपने गमलों के पौधों को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं। नीचे विस्तार से बताया गया है:

1) पानी देने की योजना बनाएं
(क) पहले से मिट्टी को अच्छी तरह गीला करें
-जाने से एक रात पहले गमलों में अच्छी तरह पानी दें ताकि मिट्टी पूरी तरह भीग जाए।
• गमले की मिट्टी उंगली डालने पर 2-3 नम होनी चाहिए।

(ख) मल्चिंग करें
– गमले की मिट्टी की ऊपरी सतह पर सूखी घास, पत्तियाँ, नारियल की छाल या छिलके रखें।
-यह पानी को तेजी से वाष्पित होने से रोकता है और मिट्टी को ठंडा रखता है।

2) गमलों को छांव में रखें
– सभी गमलों को एक साथ किसी ऐसी जगह रख दें जहाँ पर हल्की रोशनी तो हो, लेकिन सीधी धूप ना लगे (जैसे कि बालकनी के कोने, बड़ी छतरी के नीचे, या किसी पेड़ के नीचे)।
– अगर ऐसी जगह नहीं है, तो गमलों पर पुराना सफेद कपड़ा टांग दें जिससे सीधी धूप न लगे।

3) पानी के ऑटोमैटिक उपाय
(क) बोतल से ड्रिप सिस्टम
– एक बड़ी प्लास्टिक बोतल (1 या 2 लीटर) लें।
– उसके ढक्कन में छोटा सा छेद करें।
– बोतल को पानी से भरें और उल्टा करके गमले में मिट्टी में गाड़ दें। यह धीरे-धीरे पानी देता रहेगा।

(ख) वॉटर-विकिंग सिस्टम (बत्ती विधि)
– एक बाल्टी में पानी भरें और उसे गमलों के पास ऊंचाई करके रखें।
– मोटा सूती कपड़ा या रस्सी लेकर एक सिरा पानी में रखें और दूसरा सिरा गमले की मिट्टी में दबा दें।
– इससे धीरे-धीरे पानी सोखकर मिट्टी तक पहुंचाता रहेगा।

4) पौधों की कटाई-छंटाई कर दें
– ज्यादा पत्तियों वाले पौधों की हल्की छंटाई कर दें ताकि पानी की आवश्यकता कम हो।
– सूखे, मुरझाए पत्ते या फूल हटा दें।

5) गमले का सही प्रबंध
– मिट्टी के गमलो की अपेक्षा प्लास्टिक के गमलों में नमी जादा देर तक बनी रहती है।
– इसलिए आप मिट्टी से प्लास्टिक में बदल सकते है।
– न हो सके तो मिट्टी के गमलों के किनारों को प्लास्टिक की थैली से ढक दें ताकि वाष्पीकरण पहले से कम हो।

6) सहायक की व्यवस्था (अगर संभव हो)
– किसी पड़ोसी या दोस्त को एक बार पौधों को पानी देने के लिए कह सकते हैं।
• उन्हें आसान निर्देश दे दें जैसे कि हर गमले में एक मग पानी डालें।

1) पौधों को हाफ-डॉर्मेंसी मोड में डालना
– पौधों की ग्रोथ को थोड़ी स्लो करें ताकि पानी की मांग घटे।
– पौधों को हल्की छांव में रखें।
– थोड़ा कम पोषण दें (जाने से 1 हफ्ते पहले तक खाद न डालें)
– फूल और फल की कटाई कर दें। इससे पौधा कम ऊर्जा खपत माध्यम में चला जाता है जिससे ज्यादा पानी नहीं मांगता।

2) मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करें
– यह पुरानी देसी तकनीक है — एक छोटा घड़ा लें।
– गमले की मिट्टी में आधा गाड़ दें। उसे पानी से भरें।
– यह बर्तन धीरे-धीरे पानी रिसने देता है।

3) ट्रांसपेरेंट पॉलिथिन से मिनी ग्रीनहाउस
– हर गमले को ढकने के लिए एक पारदर्शी पॉलिथिन ढक दें।
– इसमें 2-3 वेंटिलेशन होल्स करें ताकि हवा आती रहे।
– अंदर की वाष्पित नमी फिर से पौधे को मिलती है।
– यह रिसायकल मॉइस्चर तकनीक कहलाती है।

4) टाइमर लगाकर (खर्चीला पर बहोत उपयोगी)
– ह्यूमिडिफायर लगाकर
– कुछ घंटों के अंतराल में 4 से 5 बार चला सकते है।
– ड्रिप सिस्टम लगाया जा सकता है।
– सीधे पानी के टंकी से जुड़ा होने से किसी प्रकार की चिंता फिक्र नही।
– केवल पानी की टंकी भरी हो ये जरूरी है।

 

source – bagiya ki abc

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