आदिवासी सीटों पर विशेष फोकस है भाजपा और कांग्रेस का

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल और प्रियंका गांधी की सभाएं होंगी

मिलिंद मुजुमदार
इंदौर: इंदौर संभाग के आदिवासी अंचल को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही विशेष रणनीति पर काम कर रहे हैं। आदिवासी अंचल में कांग्रेस ने 2018 और 2023 लगातार दो विधानसभा चुनाव में मजबूत प्रदर्शन किया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस ने इंदौर संभाग की अधिकांश आदिवासी सीटें जीत ली थी। खास तौर पर निमाड़ अंचल में भाजपा का सफाया हो गया था। धार झाबुआ और खरगोन की लगभग सभी आदिवासी सीटें कांग्रेस ने जीत ली थी। 2023 में हालांकि भाजपा ने आदिवासी सीटों पर अपने प्रदर्शन में सुधार किया लेकिन फिर भी वह अपना 2013 का प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी। 2023 में भी कांग्रेस ने भाजपा का बराबरी से मुकाबला किया। इंदौर संभाग की तीनों आदिवासी सीटों धार, रतलाम- झाबुआ और खरगोन में 13 मई को मतदान होना है। भाजपा ने 7 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा रखी है। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दौरे निर्धारित किए गए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मालवा प्रांत इकाई भी आदिवासी अंचल पर खास ध्यान दे रही है। कांग्रेस में जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की जोड़ी खास तौर पर आदिवासी लोकसभा सीटों पर अलग से रणनीति बना रही है। जवाब में भाजपा ने भी आदिवासी अंचल की जवाबदारी अपने संगठन और रणनीति कुशल नेताओं को दी है। इंदौर संभाग की सीटों पर नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के अलावा प्रदेश युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ निशांत खरे खास तौर पर खरगोन,धार और झाबुआ की लोकसभा सीटों को देख रहे हैं। जाहिर है भाजपा और कांग्रेस, दोनों का फोकस आदिवासियों पर है। प्रदेश में 29 में से छह लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित हैं। भाजपा जहां इन सभी सीटों पर अपना कब्जा बनाए रखने के प्रयास में है तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम की रोशनी में तैयारी कर रही है। हालांकि इंदौर संभाग की आदिवासी सीटों को छोडक़र महाकौशल और विंध्य की सभी चार आदिवासी सीटों पर मतदान पहले और दूसरे चरण में हो चुका है।

जीत की कुंजी आदिवासियों के पास

प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 47 विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित हैं। इनमें से सात सीटें रतलाम संसदीय क्षेत्र में आती हैं। इनमें से भाजपा और कांग्रेस ने तीन-तीन तो एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती। चुनाव अभियान का रोड मैप तय करने के लिए शनिवार को भोपाल में हुई बैठक में निर्धारित किया गया कि आदिवासी अंचल पर विशेष फोकस किया जाएगा। दरअसल, आदिवासी मतदाताओं का साथ भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए आवश्यक है। विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने किसी भी दल को एकतरफा मतदान नहीं किया था। भाजपा 47 में से 26 सीटें जीती थी तो कांग्रेस को भी 22 सीटें मिलीं। धार की पांच में से चार, खरगोन की पांच में से चार और मंडला की अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित पांच में से चार सीट कांग्रेस ने जीतकर बढ़त बनाई। कुल मिलाकर इंदौर संभाग में खरगोन, धार और रतलाम की आदिवासी सीटों के अलावा खंडवा में भी जीत की कुंजी आदिवासियों के पास है।

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