भारत अपनी नीतियों के साथ ‘वैश्विक व्यवधानों’ को पार कर जायेगा: सीतारमण

मुंबई 17 अप्रैल (वार्ता) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नए टैरिफ नियमों का उल्लेख किये बगैर आश्वस्त किया कि भारत अपनी नीतियों के साथ इन “वैश्विक व्यवधानों’ को पार कर जाएगा।

श्रीमती सीतारमण ने यहां बीएसई के सेवा के 150 वर्ष पूर्ण होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत इन वैश्विक व्यवधानों से बाहर निकलने के लिए काम करेगा। उन्होंने कहा, “हम नीतिगत पहलों और दीर्घकालिक निवेश के साथ वैश्विक व्यवधानों को पार कर लेंगे।” वित्त मंत्री ने भारत के बहुत जल्द तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का उल्लेख करते हुए कहा कि हाल की वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनीय मजबूती दिखायी है।

अमेरिका द्वारा शुरू की गई टैरिफ नीतियों पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए वित्त मंत्री ने चेताया, “वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला नीति को ‘बाधित’ कर सकते हैं। संरक्षणवादी नीतियों के बढ़ने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने और उत्पादन लागत बढ़ने की संभावना है।” वित्त मंत्री ने कहा कि आज, भारत बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता के बीच एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। दुनिया हमारी ओर देख रही है, न केवल हमारे प्रभावशाली विकास पथ या जनसांख्यिकीय ताकत के लिए, बल्कि उस उदाहरण के लिए भी जो हम एक ऐसे राष्ट्र के रूप में स्थापित कर सकते हैं जो ईमानदारी, समावेशिता और नवाचार के साथ आगे बढ़ता है।

वित्त मंत्री ने कहा कि व्यापार पर पुनर्संतुलन के प्रयास ‘बहुत , बहुत चुनौतीपूर्ण’ हैं। भारत के वित्तीय बाजारों ने हाल की वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है और बाजारों में खुदरा निवेशकों के विश्वास की सराहना की है। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का भारतीय बाजारों में सहायक से प्रमुख भूमिका में परिवर्तन भारत के पूंजी बाजार की बढ़ती परिपक्वता और गहराई को रेखांकित करता है।

वित्त मंत्री ने निवेशकों से कहा कि वह हमेशा जानकारी रखें, धैर्य बनाए रखें और अनुशासन के साथ संपदा निर्माण करने के लंबी अवधि के फायदे पर भरोसा रखें। वहीं, कॉर्पोरेट के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि वह पारदर्शिता, अच्छी गर्वनेंस और शेयरधारकों के हितों का ध्यान रखें। नियामकों के लिए वित्त मंत्री ने कहा कि वह तेजी से बदलती दुनिया में हमेशा एक्टिव रहें और तुरंत प्रतिक्रिया दे।

श्रीमती सीतारमण ने कहा, “भारत के पूंजी बाजार के लिए हमारी सोच सिर्फ उन्हें बड़ा बनाने तक ही सीमित नहीं है। हम ऐसे बाज़ार बना रहे हैं जो सबको शामिल करने वाले, सबकी पहुंच में और हर संकट झेलने में सक्षम हों। जहां तरह-तरह के नए वित्तीय साधन हो। निवेशक और पूंजी जुटाने वाले दोनों तरह के अलग-अलग भागीदार हो। जहां सभी तरह के घरेलू और विदेशी निवेश बिना किसी रुकावट के, तेजी से, आसानी से और बड़े पैमाने पर आसान से हिस्सा ले सकें।

हम सभी अपने नागरिकों के वित्तीय सशक्तीकरण के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, चाहे वे किसी भी भौगोलिक क्षेत्र, लिंग या आय वर्ग के हों, उन्हें हमारे वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में भाग लेने और उससे लाभ उठाने का अवसर प्रदान करके।”

उन्होंने कहा कि इसके लिए वित्तीय क्षेत्र में कई सुधार किए गये हैं और बड़े पैमाने पर वित्तीय समावेशन, बेहतर और तेज़ सेवा वितरण तथा वित्तीय बाजारों में भागीदारी को आसान बनाने के लिए नवीन तकनीक का उपयोग किया गया है। यह पूंजी बाजारों में मजबूत खुदरा निवेशक भागीदारी में परिलक्षित होता है। पूंजी बाजारों ने वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 4.1 करोड़ डीमैट खाते जोड़े, जिससे कुल डीमैट खातों की संख्या 19.2 करोड़ हो गई। उल्लेखनीय रूप से, प्रत्येक वित्त वर्ष में जोड़े गए नए डीमैट खातों की संख्या अब महामारी से पहले मौजूद कुल खातों की संख्या से मेल खाती है।

उन्होंने कहा कि भारतीय निवेशकों की औसत आयु 32 वर्ष है, जिनमें से 40 प्रतिशत से अधिक केवल 30 वर्ष से कम आयु के हैं, और आज चार में से एक निवेशक महिला है। खुदरा भागीदारी में वृद्धि के साथ तेजी से बढ़ते बाजार में निवेशक शिक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषाओं में निवेशक जागरूकता कार्यक्रम (आईएपी) आयोजित किए जाने चाहिए, खास तौर पर छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, ग्रामीण निवेशकों और पहली बार कारोबार करने वालों पर ध्यान केंद्रित करते हुए।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2000 में एक से बढ़कर महामारी से ठीक पहले 30 हो गई और फिर आज तेजी से बढ़कर 81 हो गई हैं। आज कम से कम 55 कंपनियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक में दस लाख से अधिक निवेशक हैं, जबकि 2014 में यह संख्या केवल सात थीं। पिछले दो दशकों में यह वृद्धि भारत के मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे, महत्वपूर्ण सुधारों के कार्यान्वयन और लगातार बढ़ते निवेशक आधार का प्रतिबिंब है। वित्त मंत्री ने कहा बीएसई हर सेकंड 14 लाख ऑर्डर प्रोसेस करता है। साथ ही ऑर्डर प्रोसेसिंग का वक्त 200 माइक्रो सेकंड से कम है। साथ ही टी प्लस वन सेटलमेंट एक बड़ी उपलब्धि है।

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