नयी दिल्ली, 28 मार्च (वार्ता) लोकसभा में सत्तापक्ष तथा विपक्ष ने शुक्रवार को समुद्री माल ढुलाई के काम को आसान बनाकर छोटे कारोबारियों और संचालकों के लिए बदले समय के अनुरूप बनाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि इसके लिए ब्रिटश काल के समुद्री कारोबार से संबंधित कानूनों में बदलाव की पहल आवश्यक है लेकिन इसमें छोटे संचालकों तथा करोबारियों के हितों के लिए जरूरी कदम उठाने की भी सख्त जरूरत है।
कांग्रेस के विजयकुमार उर्फ विजय वसंत ने ‘समुद्र द्वारा माल वहन विधेयक 2024’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र कन्याकुमारी के ज्यादातर लोग मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुडे हैं और वहां का जनजीवन पूरी तरह से समुद्री काम पर ही निर्भर है। उनका था कि इस विधेयक से वैश्विक स्तर पर कारोबार को और आसान किया जा सकेगा।
तेलुगु देशम पार्टी के कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि समुद्र से कारोबार को बढ़ाने के लिए सरकार ने सागरमाला जैसी अहम परियोजना शुरु की जिसके कारण माल ढुलाई का काम बढा है और देश के नौ बंदरगाह दुनिया के सौ प्रमुख बंदरगाहों में शामिल हो गये हैँ और वहां से आसानी से जहाजों के जरिए माल ढुलाई का काम किया जा रहा है। उनका कहना कि इस विधेयक के कारण समुद्री रास्ते से माल ढुलाई तथा सामान को गंतव्य तक पहुंचाने का काम और बेहतर तरीके से हो सकेगा। उनका कहना था देश में इलेक्ट्रोनिक तरीके से कार्गो की मूवमेंट का काम तेज किया जाना चाहिए ताकि वैश्विक स्तर पर अपने कैरियर को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
सपा के आदित्य यादव ने कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए छोटे कारोबारियों को दबाया जाएगा और इसके माध्यम से सरकार छोटे आपरेटर को दबाने का फिर काम करेगा। उनका कहना था कि देश में छोटे व्यापारियों को लाभ पहुंचाने की जरूरी है लेकिन सरकार बंदरगाहों का संचालन निजी कंपनियों को सौंप रही है। सरकार निजीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रही है और पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए सरकार इस तरह के विधेयक ला रही है। उनका कहना था कि इस समय देश के 14 पोर्ट पर निजी संचालकों की मनमानी चल रही है।
भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि देश में कई कानून अंग्रेजों के दौर के हैं लेकिन अब मोदी सरकार पुराने कानून को बदलने में लगी है। अंग्रेजों ने वर्ष 1934 में कानून बनाया था उसके अनुसार कोई व्यक्ति आजादी से पतंग या गुब्बरा नहीं उड़ा सकता है। इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। यह विधेयक उस दौर के प्रावधानों पर चल रहा है जिसे अब बदलने का काम किया जा रहा है और यह मोदी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्घि है। उनका कहना था कि सरकार इस विधेयक के जरिए ब्रिटिश काल के कानूनों को आज के अनुकूल बना रही है और पुराने कानूनों को नयारूप देकर कारोबार आसान बना रही है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एसपी की सुप्रिया सुले ने कहा कि नये विधेयक से हितधारकों का हित कैसे होगा और राज्यों की उसमें क्या भूमिका रहेगी इस बारे में भी स्पष्टता आवश्यक है। उनका कहना था कि यदि कोई कंपनी गलत करती है तो उसे दंडित किया जाना आवश्यक है। बंदरगाह के विकास के दौरान उस क्षेत्र में यदि किसान हैं तो उनकी समस्या का त्वरित समाघान करके उन्हें व्यवस्थित जगह पर शफ्ट किया जाना चाहिए। जनता दल यू के दिलेश्वर कामैत ने कहा कि यह विधेयक पारित होने के बाद 100 साल पुराने कानून की जगह लेगा। इसमें माल ढुलाई के नियमों को मजबूत बनाना समय की जरूरत है और विधेयक उसी दिशा में एक कदम है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने केंद्र सरकार से कोलकाता के पोर्ट को बेहतर बनाने के लिए और उसे आधुनिक तकनीकी के साथ संचालित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा,“ हमारे देश की तटीय सीमाएं बहुत लम्बी हैं और इस पूरे क्षेत्र में समुद्र के जरएि माल की आवाजाही होती है। इस काम में बेवजह के नियम छोटे कारोबारियों को रोकते हैं और उन्हें नियमों के कारण हतोत्साहित होना पड़ता है। बड़े कारोबारियों को लाजिस्टक पर कब्जा है और छोटे कारोबारियों को नुकसान के कारण बाहर होना पड़ रहा है।”
शिवसेना के अरविंद सावंत ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि चोरियां समुद्र तटों पर तेजी से होती हैं और इस पर ध्यान देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। देश में कोलकाता बंदरगाह सबसे पुराना है और उसके बाद दूसरे स्थान पर मुंबई का पोर्ट है। सरकार को इस बात पर भी ध्यान देनो चाहिए कई बंदरगाहों पर कारोबार कम हो गया है और यह स्थिति क्यों पैदा हो रही है इसका भी आकलन किया जाना आवश्यक है।
शिव सेना के रविंदर दत्तराम कहा कि पछले 10 वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के कारण देश में समुद्री कारोबार तेजी से बढ रहा है और पिछले 10 साल में यह दोगुना से ज्यादा हुआ है। उनका कहना था कि जिस तरह से समुद्री माल ढुलाई के काम को सरल बनाने के लिए काम किया जा रहा है उससे इसे आधुनिक बनाया जाएगा और कानून को बदले समय के अनुसार बदलने से समुद्र से माल ढुलाई के काम को लोगों के हित में समय के अनुरूप बनाया जाएगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) सुदामा प्रसाद ने कहा कि इससे मछुवारों को नुकसान हो रहा है। केरल में निजी बंदरगाह का विरोध इसीलिये हो रहा है क्योंकि मछलियों की प्रजातियों का नुकसान होगा। निजी बंदरगाहों के कर्मचारियों के हितों की रक्षा भी जरूरी है।
रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि पुराने कानून में इस विधेयक में कोई परिवर्तन नहीं आया है। इस विधेयक में कार्यकारी शक्तियों से लदान के नियमों को बदला जा सकता है। इससे सरकार काे मनमाने बदलाव करने का अधिकार मिलता है। सरकार को इस पर सफाई देना चाहिए। इस विधेयक का उद्देश्य केन्द्र सरकार को अधिक अधिकार देना है।
कांग्रेस के सागर ईश्वर खंडे ने कहा कि इस विधेयक से लोगों को नुकसान होगा। यदि किसी सामान को एक जहग से दूसरी जगह ले जाते समय ही बीच में किसी तरह का कोई नुकसान होता है तो इसके लिए जहाज के नाविक दल में कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। इस विधेयक में हर स्तर पर जवाबदेही तय करने की बात कही गयी है और इस तरह के प्रावधान आवश्यक भी है।
राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने कहा कि इस विधेयक से केन्द्रीकरण को बढ़ावा मिलेगा। यह खोया हुआ अवसर है। कानूनों की पेचीदिगी से भरा है। लोगों को काेई लाभ नहीं होगा।