
एनजीटी ने सुनाया अपना सुरक्षित किया गया आदेश
याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में आपत्ति पेश करने स्वतंत्र
जबलपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपने आदेश में कहा कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरा निस्तारण में राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान, (नीरी) भी कार्य कर रहा है। यह संपूर्ण प्रक्रिया को हाईकोर्ट की निगरानी में गति दी जा रही है। यदि याचिकाकर्ता को कोई आपत्ति हो तो वह हाईकोर्ट जाने स्वतंत्र है।
एनजीटी ने उक्त व्यवस्था देते हुए नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव की जनहित याचिका का निराकरण कर दिया। इससे पूर्व मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से एनजीटी में जानकारी पेश करते हुए अवगत कराया गया कि यूका कचरा निस्तारण उपरांत परिणामों पर नीरी के वैज्ञानिक नियमानुसार अनुसंधान कर रहे हैं। उनके परीक्षण को गंभीरता से लेकर मार्गदर्शन अनुरूप प्रक्रिया को गति दी जा रही है। एनजीटी के न्यायाधीश शिव कुमार सिंह व एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफरोज अहमद की युगलपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता प्रभात यादव ने रखा था। उन्होंने दलील दी थी कि यूकां कचरा विनष्टीकरण को लेकर पीथमपुर के निवासियों में भय फैला हुआ है। जिस कारण अपेक्षाकृत स्वतंत्र जांच एजेंसी नीरी से जांच कराकर मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल की जांच के निष्कर्षों से तुलना आवश्यक है। साथ ही दोनों जांच रिपोर्ट हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित की जानी चाहिए। पूर्व में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अंडरटेकिंग दी गई थी कि यदि कोई शंका या समस्या हो तो वैज्ञानिकों के जरिए उसका निराकरण सुनिश्चित कराया जाएगा। चूंकि ऐसा नहीं किया गया, अत: नए सिरे से जनहित याचिका दायर करनी पड़ी है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अनुसार पीथमपुर के लोगों में आशंका व्याप्त है। वे प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के प्रति अविश्वास जता रहे हैं। ऐसे में अन्य स्वतंत्र एजेंसी नीरी से जांच कराई जानी चाहिए। इस सिलसिले में राज्य शासन को निर्देश जारी किए जाने की मांग याचिका में की गई थी। जिस पर एनजीटी ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे सुनाते हुए न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।
