नयी दिल्ली, (वार्ता) देश की जानी मानी व्यापारिक विधि सेवा कंपनी सिरिल अमरचंद मंगलदास के भागीदार ऋषभ श्राॅफ ने शनिवार को कहा कि भारत में कारोबार के अवसरों में सुधार के बावजूद कई धनाढ्य व्यक्ति अतिरिक्त अवसरों की खोज में विदेशों में बसते जा रहे हैं और इस प्रकार के प्रव्रजन का देश के कारोबार तथा आर्थिक नीतियों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
श्री श्रॉफ ने एक टीवी चैनल के परिचर्चा सम्मेलन के सत्र में कहा कि देश की विशाल आबादी के सामने भारत छोड़ने वाले ये लोग संख्या में भले ही नगण्य लगते हों पर ये व्यक्ति ‘ व्यवसाय में अग्रणी लोग हैं, रोजगार देने वाले हैं और बड़ा कर चुकाने वाले लोग हैं। उनके बाहर जाने से भारत में सम्पत्ति प्रबंधन व्यवसाय, व्यावसायिक अवसरों और देश की आर्थिक नीतियों के भविष्य पर कुछ प्रश्नचिह्न खड़े करता है।”
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग दुबई, सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन के पासपोर्ट ले रहे हैं। इन देशों ने धनी विदेशी नागरिकों को आकर्षित करने के लिए कुछ न कुछ योजनाएं बना रखी हैं।
उन्होंने इसी संदर्भ में कहा कि भारत में बहुत से धनाढ्य लोग विदेशों में निजी बांड, क्रिप्टो करेंसी और मेटा तथा गूगल जैसी तकनीकी कंपनियों के शेयरों में निवेश के अवसरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। देश के नियम कायदे ऐसे हैं कि वे मुक्त रूप से देश से बाहर निवेश नहीं कर पाते।
इसके साथ ही कई देश विदेशों से धनी लोगों को बुलाने के लिए अनुकूल नीतियां भी पेश करते रहते हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने मेरिका में गोल्ड कार्ड वीजा और निवेश के बदले में निवास या नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति जैसी योजनाओं का उल्लेख किया।
श्री श्रॉफ ने कहा कि यह इस बात का उदाहरण है कि कैसे अन्य देश भारत के शीर्ष व्यापारिक दिमागों और सबसे धनी नागरिकों को सक्रिय रूप से आकर्षित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में ट्रम्प सरकार की गोल्ड कार्ड वीजा योजना भारतीय निवेशकों के लिए महंगा सौदा है। इसकी 50 लाख डालर की फीस इसे यह योजना ज्यादातर भारतीयों के लिए अनाकर्षक हो जाती है।
श्री ट्रम्प ने निवेश आधारित स्थायी निवास सुविधा वाली ईबी-5 योजना की जगह गोल्ड कार्ड वीजा योजना शुरू की है।