नयी दिल्ली, 05 मार्च (वार्ता) मखाना भविष्य की महत्वपूर्ण खेती है और इसको आधुनिक बनाने तथा इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए पूसा अनुसंधान केंद्र दिल्ली में वैज्ञानिक देखरेख में इसकी खेती की जानी चाहिए ताकि देश में मखाना खेती को बढ़ावा मिले और रोजगार के अवसर बढें।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नयी दिल्ली से मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम करने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए नवोन्मेषी किसान सम्मान से सम्मानित महादेव सहनी ने यहां एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मखाना की खेती को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रहे हैं और उनका सपना साकार हो इसके लिए दिल्ली के पूसा अनुंसधान केंद्र में भी इसकी खेती वैज्ञानिक देखरेख में की जानी चाहिए। इससे न सिर्फ मखाना की खेती को बढावा मिलेगा बल्कि मखाना किसानों की संख्या बढ़ेगी और देश में बेरोजगारी के बोझ को भी कम किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि उनके प्रयास से ही 1994 में मखाना की मान्यता राष्ट्रीय संपत्ति के रूप में मिली है और बिहार के दरभंगा में मखाना अनुसांधान केंद्र की स्थापना हुई है। उनका कहना था कि यदि मखाना को और उन्नत तरीके से पैदा करने के लिए अनुसंधान होगा तो मखाना खेती को बढ़ावा मिलेगा और देश में बेरोजगारों की संख्या को बड़े स्तर पर कम किया जा सकेगा।
नवोन्मेषी किसान सम्मान से सम्मानित श्री सहनी ने कहा कि मखाना की मांग अरब और यूरोपीय देशा में जबरदस्त है और वहां निर्यात किया गया मखाना चार से पांच हजार रुपए किलो की दर से बिक रहा है। देश में भी इसका बड़ा बाजार है और मखाना एक से डेढ हजार रुपए किलो तक बिक रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इसकी वैज्ञानिक खेती पर ध्यान देगी तो मखाना का उत्पादन और बढाया जा सकता है।