जमात के पूर्व प्रवक्ता का पीएसए किया रद्द, अवैध हिरासत के लिए सरकार पर जुर्माना

श्रीनगर, 27 अप्रैल (वार्ता) जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के एक पूर्व प्रवक्ता के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत निवारक हिरासत आदेश को अवैध और अनुचित बताते हुए रद्द कर दिया है।

उच्च न्यायालय ने पुलवामा के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी फटकार लगाई और जम्मू-कश्मीर सरकार को याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

वकील अली मोहम्मद लोन उर्फ ​​एडवोकेट जाहिद अली बनाम जम्मू-कश्मीर सरकार के एक मामले में न्यायमूर्ति राहुल भारती की एकल पीठ ने कहा कि यह अदालत यह मानने से बच नहीं सकती कि याचिकाकर्ता की निवारक हिरासत दुर्भावनापूर्ण और अवैध है।

तीन अप्रैल को सुनाए गए अदालत के आदेश में कहा गया, “याचिकाकर्ता को 2019 से मार्च 2024 तक लगातार चार हिरासत आदेशों की अवधि के तहत कुल मिलाकर 1080 दिनों से अधिक की निवारक हिरासत अवधि के दौरान अपनी स्वतंत्रता का नुकसान उठाना पड़ा है।”

याचिकाकर्ता की निवारक हिरासत की प्रक्रिया 3 मार्च, 2019 को उस समय शुरू हुई जब गांदरबल जिले के मजिस्ट्रेट ने उसे जम्मू और कश्मीर पीएसए अधिनियम के तहत राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक तरीके से काम करने के आरोप में हिरासत में लेने का आदेश दिया। पीएसए अधिकारियों को दो साल तक बिना किसी ट्रायल के किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने की अनुमति देता है। उच्च न्यायालय ने जुलाई 2019 में इस हिरासत को रद्द कर दिया।

रिहाई आदेश के आठ दिन बाद और जब वह अभी भी हिरासत में था सरकार ने 19 जुलाई, 2019 को उनके खिलाफ एक और पीएसए लगाया, जिसे 3 मार्च, 2020 को अदालत ने फिर से रद्द कर दिया। इस बार निवारक हिरासत को पुलवामा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया गया था

सरकार ने 29 जून, 2020 को लोन के खिलाफ तीसरा पीएसए लगाया, जिसे 24 फरवरी, 2021 को अदालत ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि याचिकाकर्ता के संबंध में हिरासत आदेश पारित करना पहले के दो हिरासत आदेशों का पर आधारित था और इन्हें खारिज कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने निवारक हिरासत पर यह वर्तमान निर्णय लगातार चौथा बार जिला मजिस्ट्रेट पुलवामा द्वारा 14 सितंबर, 2022 को पारित आदेश पर दिया। जिसमें लोन को पीएसए के तहत बुक किया गया था।

चौथे हिरासत आदेश को पारित करने से पहले पीएसए को रद्द करने वाले पिछले आदेशों को पढ़ने की जहमत नहीं उठाने के लिए उच्च न्यायालय ने पुलवामा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और जिला कलेक्टर (डीएम) को भी फटकार लगाई।

 

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